एडवांटेज मीडिया ग्रूप के कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबलिटी प्रोजेक्ट के तहत Advantage Support ने गीतों के एक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन पटना में रखा. इस अवसर पर मनोज मुंतसिर व मोहम्मद वकील ने अपनी रचनाओं से दर्शकों का मन मोह लिया.

 

एडवांटेज सपोर्ट के सचिव श्री खुर्शीद अहमद ने कहा कि लिट फेस्ट आयोजित करने के पीछे मेरी सोच यह है कि पटना से एक अच्छा शायर, लेखक और गीतकार उभरे जो बाॅलीवुड में जाकर नाम कमाए। आने वाले समय में वह मनोज मुंतशिर औरा ए.एम. तुराज बन सके। इसलिए हमने पटना के 100 युवा टैलेंटो का आॅडिशन लिया, जिनमें से तीन यंग टैलेंटों युवा-युवतियों अश्विनी, प्रियम तथा पूजा का चयन किया गया। तीनों ने स्टेज पर अपने नज्म पढ़े। दर्शकों ने प्रियम को सर्वश्रेष्ठ यंग टैलेंट के रूप में चयन किया गया जिसमें यंग टैलेंट अवार्ड दिया गया। पूजा तथा अश्विनी को भी सांत्वना पुरस्कार दिया गया। हमने बिहार तथा पटना के एक बुजूर्ग शायर को हर साल लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड देने का फैसला किया है। लाइफ टाइम एचीवमेंट का पहला पुरस्कार फुलवारी शरीफ के बुजूर्ग शायर सुल्तान अख्तर को दिया गया।

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एडवांटेज सपोर्ट के अध्यक्ष तथा बिहार के प्रसिद्ध सर्जन डाॅ. ए.ए. हई ने कहा कि साहित्य एक ऐसी चीज है जो एक-दूसरे को जोड़ने का काम करती है। इसी सोच के तहत हमलोगों ने एडवांटेज लिट फेस्ट एपिसोड की शुरूआत की है। पुराने पटना अजीमाबाद के समृद्धि साहित्य पर मंथन से कई बातें निकलकर सामने आती हैं जो आज के लोगों के लिए सीख दे सकती है। पुराना साहित्य हमें कुछ न कुछ नया सृजन करने को प्रोत्साहित करता है।

एडवांटेज लिट फेस्ट एपिसोड-3 शायरी एवं गजल के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार के शिक्षा मंत्री श्री कृष्ण नन्दन वर्मा ने कहा कि एडवांटेज लिट फेस्ट एडवांटेज सपोर्ट जो एडवांटेज मीडिया की सीएसआर की शाखा है, की शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में बहुत ही सहराहनीय और अमूल्य कदम है। खासतौर पर इसमें युवा एवं वरिष्ठ कलाकारों को उनके कला के क्षेत्र में योगदान के लिए जिस तरह पुरस्कृत किया जा रहा है ये बहुत ही जरूरी है ऐसी प्रतिभाओं को अहमियत देना साथ ही नए लोगों को इस क्षेत्र में कुछ कर दिखाने के लिए सराहना। इस ऐडवांटेज लिट्रेचर फेस्टिवल की शुरूआत होने के बाद से पटना का साहित्यिक माहौल बदलने लगा है।

मनोज मुंतिसर के बारे में

इस मौके पर उनसे यह पूछे जाने पर कि आप मनोज शुक्ला से मनोज मुंतशिर कैसे हुए के जवाब में कहा कि भारत में हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान तीनों उर्दू के शब्द हैं, इसलिए यहां हम सारे लोग भाई-भाई हैं, इसमें फर्क करना नासमझी होगी। मैं पढ़ रहा था तो सुबह में पिता जी श्री रूद्राष्टकम सुनते थे और वहीं मैं उर्दू में ईश्वर की स्तुति सुना करता था, तो मेरे पिता जी कहते थे-बेटा थोड़ा कम आवाज करके सुनो तो मैं भी अपनी स्तुति पूरी कर पाऊंगा। उन्होंने कहा कि भारत में क्या नहीं जो हमारे देश के लोग पश्चिमी देश पर आश्रित हो रहे हैं। अपने देश की विरासत को देखेंगे तो सभी चीजें मिल जायेंगी, कहीं भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हमारे यहां गीता, रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथ हैं जो बसुधैव कुटुम्ब का संदेश देते हैं। भारत ऐसा देश है जहां अकबर के दरबार में रहीम लिखते थे, वहीं छत्रपति शिवाजी का सेनापति मुसलमान हुआ करता था। उन्होंने कहा कि शायरी की रचना बिना इश्क में धोखा खाए आदमी नहीं कर सकता। उत्तर प्रदेश के गौरीगंज से मुम्बई तक की यात्रा का वर्णन करते हुए मनोज मुंतशिर ने कहा कि मेरा भरोसा अपने हाथ-पैरों पर था, इसलिए मैं मुम्बई में अपने लिए स्थान बना पाया।

 

पुराने पटना अजीमाबाद के साहित्य के बारे में लोग नये सिरे से अवगत होने लगे हैं। इसके लिए मैं जानेमाने सर्जन, समाजसेवी एवं एटवांटेज सपोर्ट के प्रेसीडेंट डॉ. अब्दुल हई एवं एडवांटेज सपोर्ट के सचिव सह एडवांटेज ग्रुप के संस्थापक और एम.डी. श्री खुर्शीद अहमद को बधाई देता हूं और कहना चाहता हूं कि अब पटना के युवा भी साहित्य में रूचि लें।

इस कार्यक्रम में फैजान अहमदस, अनवारुल होदा, ओबैदुर्रहमान, अनवर जमाल, फहीम अहमद, एजाज हुसैन की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

 

 

 

 

 

By Editor