Agnipath ने साबित किया राजद और कांग्रेस की राहें हुईं जुदा

Agnipath योजना के खिलाफ आंदोलन ने बिहार के दो बड़े विपक्षी दलों की राहें जुदा कर दी हैं। 2020 चुनाव परिणाम से जो दूरी बढ़ी, अब वह फाइनल हो गई है।

राजद ने 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटें दी थीं, लेकिन वह केवल 19 सीटें ही जीत सकी। महागठबंधन बिहार में सरकार बनाने से कुछ ही कदम पीछे रह गया। इसके बाद से राजद और कांग्रेस में दूरी बढ़ने लगी। और अब अग्निपथ योजना के खिलाफ आंदोलन ने दोनों की राहें अंतिम रूप से अलग होने पर मुहर लगा दी है।

कल सोमवार को कांग्रेस ने देशभर के विधानसभा क्षेत्रों में अग्निपथ योजना के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया। पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत बिहार कांग्रेस ने भी राज्य के हर क्षेत्र में धरना-प्रदर्शन किया। इससे पहले राजद की पहल पर अग्निपथ योजना के खिलाफ महागठबंधन ने बिहार बंद किया था। दो दिन पहले राजद की ही पहल पर महागठबंधन के विधायकों ने राजभवन मार्च किया। इन दोनों कार्यक्रमों में कांग्रेस साथ नहीं थी। इस तरह यह साफ हो गया कि बिहार की राजनीति में दोनों एब अलग-अलग चलेंगे। 2014 लोकसभा चुनाव और 2015 विधानसभा चुनाव भी अब दोनों दल अलग-अलह ही लड़ेंगे।

कल जब कांग्रेस के कार्यकर्ता राज्य में प्रदर्शन कर रहे थे, तब पटना में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी अग्निपथ योजना का मामला उठाया। उन्होंने आंदोलन में शामिल सभी युवाओं पर से मुकदमे वापस लेने की मांग की। इसी मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने अपने विधायकों के साथ बैठक की। राजद और वाम दलों ने मिलकर बिहार विधानसभा में अग्निपथ योजना वापस लेने की मांग की।

युवाओं पर दर्ज मुकदमें, अग्निपथ योजना पर सदन में चर्चा और वापसी को लेकर आज नेता प्रतिपक्ष @yadavtejashwi के आह्वान पर समस्त विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया। आज के बिहार विधानसभा का नजारा। इसमें केवल BJP के सदस्य है। बिहार तानाशाहों का अहंकार तोड़ना जानता है।

और अंत में एक खास बात। राहें जुदा होने पर राजद-कांग्रेस में किसी को किसी से कोई शिकवा नहीं है। अपनी राहें अलग करके दोनों संतुष्ट हैं।

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