बिहार सरकार ने माना है कि राज्य में, खासकर बड़े शहरों में प्रदूषण की स्थिति चुनौतिपूर्ण है पर भयभीत होने की जरूरत नहीं है. राज्य सरकार नयी थ्रईव्हीलर्स के परमिट पर रोक, निर्माण के लिए ग्रीन कवर के प्रावधान समेत अनेक कदम उठाने की तैयारी कर रही है.

बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से ‘वायु प्रदूषण’ पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर ते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पटना में वायु प्रदूषण की स्थिति चुनौतीपूर्ण है, मगर भयातुर होने की जरूरत नहीं है।

 

15 साल पुराने वाहनों के परिचालन को नियंत्रित करने के अधिकार के लिए राज्य सरकार भारत सरकार को पत्र लिखेगी। नई थ्री व्हीलर को शहरी क्षेत्र में परमिट देने पर रोक, कचरे व बालू की ढक कर ढुलाई, सड़क, भवन आदि का निर्माण ग्रीन कवर कर करने, ईंट-भटठा को नई स्वच्छता तकनीक में परिवर्तित करने, पटना शहर, काॅलोनियों व गंगा किनारे के दियारा क्षेत्र में इस साल 10 हजार पौधारोपण करने का लक्ष्य है। वायु प्रदूषण नियंत्रण में आम लोगों का सहयोग भी अपेक्षित है।

श्री मोदी ने कहा कि गर्मी और बरसात की तुलना में जाड़े के मौसम में सूक्ष्म धूलकण की मात्रा हवा में बढ़ जाती है। मार्च में 110, अप्रैल में 89.1 तो दिसम्बर में 191 और जनवरी में 189 माइक्रोग्राम धूलकण की मात्रा पाई गई है। संभवतः जाड़े के मौसम में धूलकण के धनीभूत होने के कारण ऐसा होता है। डब्ल्यूएचओ व राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के आंकड़े में अंतर है। पटना में स्थिति उतनी खराब नहीं है जितनी डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में बतायी जा रही है।

नदी किनारे वाले शहरों वाराणसी, कानपुर आदि में वायु प्रदूषण बढ़ा है, इनमें पटना भी है। पटना के किनारे नया दियारा का इलाका बना है। हवा के साथ वहां के धूलकण शहर के वायु को प्रदूषित कर रहे हैं। प्रदूषण जांच केन्द्रों को प्रभावी बनाने के साथ सभी पेट्रोल पम्पों पर जांच केन्द्र तथा पटना में 5 और एयर माॅनिटरिंग स्टेशन स्थापित की जायेगी। केन्द्रीय मोटर व्हेकिल एक्ट के तहत 15 साल पुराने वाहनों के परिचालन को नियंत्रित करने के अधिकार के लिए राज्य सरकार भारत सरकार को पत्र लिखेगी। वायु प्रदूषण पर पटना के अलावा गया और मुजफ्फरपुर में भी बैठक कर स्थिति का आंकलन किया जायेगा।

By Editor