अंग्रेजों का बनाया कानून खत्म क्यों नहीं करती सरकार : SC

SC ने केंद्र सरकार से पूछा कि अंग्रेजों ने राजद्रोह कानून विरोध करने की आजादी को खत्म करने के लिए बनाया था। केंद्र सरकार इसे खत्म क्यों नहीं करती?

आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जिस कानून के तहत महात्मा गांधी को अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया था, जिस कानून का मकसद स्वतंत्रता आंदोलन का दबाना था, जो कानून विरोध करने की आजादी के खिलाफ है, उस कानून को केंद्र सरकार खत्म क्यों नहीं करती?

सुप्रीम कोर्ट ने आज राजद्रोह कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताई और इस कानून का औचित्य पूछा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह सवाल एडिटर्स गिल्ड सहित अन्य संगठनों की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा। इससे पहले देश के अनेक बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता इस कानून के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। आज भी इस राजद्रोह कानून के अंतर्गत अनेक पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता जेलों में बंद हैं।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस एएस बोपन्ना द्वारा यह सवाल करने के साथ ही खबर सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कानून का बचाव करते हुए कहा कि कोर्ट इस कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए कोई गाइडलाइन तैयार कर दे।

कोर्ट ने इस कानून को देश की संस्थाओं के खिलाफ गंभीर खतरा बताया। कोर्ट ने एक उदाहरण भी दिया कि किसी बढ़ई को पेड़ काटना था, लेकिन वह जंगल ही काटने लगा।

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मालूम हो कि राजद्रोह कानून 124 ए का दुरुपयोग करके सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में बंद रखने के खिलाफ कई याचिकाएं कोर्ट में दायर की गई हैं। जेएनयू के छात्रों सहित सीएए विरोधी आंदोलन के कार्यकर्ताओं को इस कानून के तहत गिरफ्तार किया गया। हाल में यह मामला अंतरराष्ट्रीय तब बन गया है, जब रांची के मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत में मौत मौत हो गई। वे 84 वर्ष के थे, पर उन पर भी राजद्रेह का मुकदमा लादा गया था। हद तो यह है कि जेल में रहते हुए उनसे पूछताछ भी नहीं की गई।

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