अतिपिछड़ा वोट टूटने से नरभसाए मोदी, दिया उटपटांग बयान

सुशील मोदी ने कहा कि जैसे कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं हो सकती, वैसे ही राजद नहीं सुधर सकता। गोपालगंज-मोकामा में अतिपिछड़ा और वैश्य वोट टूटने से नरभसाए।

मंगलवार को मोकामा में तेजस्वी यादव की सभा में उत्साहित समर्थक

कुमार अनिल

भाजपा सांसद सुशील मोदी ने राजद को अपराधियों की पार्टी बताते हुए कहा कि जैसे कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं हो सकती, उसी तरह राजद नहीं सुधर सकता। सवाल है कि गोपालगंज और मोकामा उप चुनाव से 36 घंटा पहले ऐसा बयान देने का क्या अर्थ है। किसे डराने की कोशिश की गई है और किसके खिलाफ नफरत फैलाने का प्रयास किया गया है।

साफ है भाजपा को भय है कि गोपालगंज और मोकामा में अतिपिछड़ा वोट टूट रहा है। गोपालगंज में वैश्य वोट के बंटवारे का भी भय है। राजद को अपराधियों की पार्टी बताकर कुत्ते की पूंछ से तुलना करना इसी अति पिछड़े और वैश्य वोट को बचाना है। राजद के साथ जदयू के गठबंधन ने जमीन पर सामाजिक समीकरण बदल दिया है। पहले नीतीश कुमार के कारण अतिपिछड़े वोट भाजपा को आसानी से मिल जाते थे। अब स्थिति बदल गई है। इस बीच जातीय जनगणना के प्रति भाजपा के आनाकानी वाले रवैये के कारण भाजपा की स्थिति अतिपिछड़ों में बिगड़ी है। जदयू ने इसे मुद्दा भी बनाया था। फिर नगर निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों के आरक्षण का सवाल आया। इस मामले में भी भाजपा फंसी हुई दिखी। जदयू ने हर प्रखंड में भाजपा को आरक्षण विरोधी पार्टी कह कर धरना-प्रदर्शन किया।

दरअसल भाजपा का वर्षों पुराना आजमाया हुआ नुस्खा है कि सवर्णों को डराना है और उसका वोट पाना है, तो हल्ला करो कि जंगल राज आ जाएगा। इधर बोचहा उप चुनाव के बाद स्थिति बदली है। बोचहा में सवर्ण वोट भी राजद को मिले। राजद के केंद्र में तेजस्वी यादव के आने के बाद सवर्णों का नजरिया भी थोड़ा ही सही लेकिन बदला है। जो 18-20 साल के युवा हैं, उन्हें रोजगार चाहिए, अच्छी शिक्षा चाहिए। तेजस्वी इन्हीं मुद्दों पर जोर दे रहे हैं। इससे भी स्थिति बदली है। आज से 30 वर्ष पुरानी बात कह के 20 साल के युवा को भाजपा कैसे अपनी तरफ खींच सकती है। कहीं न कहीं, कुत्ते की पूंछ बता के सवर्ण मतदाता की गोलबंदी भी मकसद है। ये भाजपा को डराने वाला वीडियो है-

अब देखना है कि इस तरह खुल कर जातीय गोलबंदी भाजपा की कोशिश कितनी सफल होती है।

सुशील मोदी ने कुत्ते की पूंछ से की राजद की तुलना, हुआ बवाल

By Editor