उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केरल और असम के साथ बिहार देश का तीसरा राज्य है, जो मूल बजट के अंग के तौर पर आठ विभागों के जरिए बच्चों के कल्याण और विकास पर खर्च के लिए बजट बनाता है।


श्री मोदी ने पुराना सचिवालय स्थित सभागार में बच्चों के बजट निर्माण के लिए ‘मानक कार्य-संचालन प्रक्रिया दस्तावेज’ जारी करते हुए कहा कि इस साल बच्चों के लिए 20889 करोड़ रुपये खर्च का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013-14 से 2017-18 के दौरान बजट में बच्चों के लिए 80872 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जिनमें से 67101 करोड़ रुपये खर्च हुए।

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि बिहार में बच्चों के बजट में प्रतिवर्ष 18.1 प्रतिशत तथा खर्चों में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि केरल और असम के साथ बिहार देश का तीसरा राज्य है जो मूल बजट के अंग के तौर पर आठ विभागों के जरिए बच्चों के कल्याण एवं विकास पर खर्च के लिए बजट बनाता है। आने वाले दिनों में आठ और विभाग इसमें शामिल होंगे।

श्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के प्रयास से वर्ष 2005-06 में बाल मृत्यु दर 65 थी जो अब घट कर अखिल भारतीय औसत के समतुल्य 35 और बच्चों का टीकाकरण 32.8 से बढ़कर 84 प्रतिशत हो गयी है। टीकाकरण का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार में 2011 की जनगणना के अनुसार शून्य से 18 वर्ष की आयु की आबादी 4.98 करोड़ है, जिनमें लड़कों की 2.62 करोड़ और लड़कियों की संख्या 2.35 करोड़ हैं। यह कुल आबादी का 48 प्रतिशत हैं।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों की छह सेवाओं पर वर्ष 2018-19 में 986 करोड़ रुपये तथा पूरक पोषाहार पर प्रति बच्चा आठ रुपये एवं अति कुपोषित पर 12 रुपये की दर से 1486 करोड़ रुपये खर्च किए गए। उन्होंने कहा कि किशोरी बालिकाओं एवं गर्भवती महिलाओं के लिए भी योजनाएं संचालित की जा रही है।

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