महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर  राज्यपाल फागू चौहान ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। श्री चौहान ने कहा कि स्व. श्री सिंह एक प्रख्यात गणितज्ञ और भारत के सच्चे सपूत थे। उन्होंने अपनी प्रतिभा से पूरी दुनिया को चमत्कृत और आकर्षित करते हुए बिहार एवं पूरे देश को गौरवान्वित किया।

उनके निधन से सम्पूर्ण राष्ट्र को अपूरणीय क्षति हुई है। राज्यपाल ने दिवंगत आत्मा को चिरशांति तथा उनके शोक-संतप्त परिजनों को धैर्य धारण की क्षमता प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उनके निधन पर गहरा शोक जताया है।

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने अपने शोक उद्गार में कहा कि वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अपने गणितीय ज्ञान एवं प्रतिभा से पूरी दुनिया में न केवल अपनी पहचान बनाई बल्कि बिहार का भी मान-सम्मान बढ़ाया। उनके निधन से बिहार के एक ऐसे बौद्धिक विभूति का अवसान हुआ है, जिसकी प्रतिपूर्ति संभव नहीं है। श्री मोदी ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति व उनके परिजनों को इस दुख को सहने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।

इससे महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का आज सुबह बिहार के पीएमसीएच, पटना में निधन हो गया वह 74 वर्ष के थे। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित श्री सिंह के मुंह से सुबह खून निकलने लगा। इसके बाद उन्हें तुरंत पीएमसीएच में भर्ती कराया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

श्री सिंह पिछले कई वर्षों से बीमार चल रहे थे। उनके शरीर में सोडियम की मात्रा काफी कम हो जाने के बाद उन्हें पीएमसीएच में भर्ती कराया था। हालांकि, सोडियम चढ़ाये जाने के बाद वह बातचीत करने लगे थे और ठीक होने पर चिकित्सकों उन्हें छुट्टी दे दी थी। गुरुवार को परिजन उन्हें दुबारा अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

बिहार के भोजपुर जिले में 02 अप्रैल 1942 को श्री लाल बहादुर सिंह (पिता) और श्रीमती लहासो देवी (माता) के घर जन्मे श्री वशिष्ठ नारायण सिंह ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा नेतरहाट आवासीय विद्यालय से प्राप्त की। अपने शैक्षणिक जीवनकाल से ही कुशाग्र रहे श्री सिंह पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान गलत पढ़ाने पर गणित के अध्यापक को बीच में ही टोक दिया करते थे। घटना की सूचना मिलने पर जब कॉलेज के प्रधानाचार्य ने उन्हें अलग बुला कर परीक्षा ली, तो उन्होंने सारे अकादमिक रिकार्ड तोड़ दिये।

पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन एल. केली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अमरीका ले गये। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से उन्होंने 1969 में श्री केली के मार्गदर्शन में ही ‘साइकल वेक्टर स्पेस थ्योरी’ विषय में अपनी पीएचडी पूरी की। इसके बाद वह वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर नियुक्त किए गए। उन्होंने अमेरिका के नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेड एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) में भी काम किया।

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