भगत सिंह को नमन करते वक्त भाजपा नेता उनके विचारों पर चुप

भगत सिंह की फांसी रुकवाने के लिए गांधी ने पत्र लिखा। आरएसएस के नेताओं ने तब श्रद्धांजलि तक नहीं दी। आज भी भाजपा नेता भगत सिंह के विचारों पर कभी नहीं बोलते।

कुछ दिनों पहले तक वाट्सएप यूनिवर्सिटी में खूब प्रचारित किया गया कि भगत सिंह की फांसी रुकवाने के लिए महात्मा गांधी ने कोई प्रयास नहीं किया। अब कश्मीर से लेकर गांधी पर अनेक पुस्तकें लिखनेवाले अशोक कुमार पांडेय ने जब इतिहास के पन्ने सामने रख दिए, महात्मा गांधी का वायसराय के नाम पत्र सबके सामने रख दिया, तब वाट्यएप यूनिवर्सिटी की बोलती बंद हो गई। जो इस विषय पर विस्तार से जानना चाहते हैं वे उनके ट्विटर टाइम लाइन पर जाकर या उनका वीडियो यू-ट्यूब पर देख सकते हैं। वहां आपको क्रेडिबल हिस्ट्री का लिंक भी मिल जाएगा, जहां आप भगत सिंह के विचारों को जान सकेंगे। आज भी भगत सिंह के शहादत दिवस पर उन्होंने महात्मा गांधी का वह पत्र जारी किया है, साथ ही उन्होंने पूछा है कि संघ नेता हेडगेवार, गोलवरकर आदि ने भगत सिंह को श्रद्धांजलि तक क्यों नहीं दी?

आप भाजपा के किसी नेता का आज का संदेश देख लीजिए, चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्वीट हो या सुशील मोदी का-किसी ने भगत सिंह को उनके विचारों के साथ याद नहीं किया है। सभी उनके त्याग-बलिदान को नमन कर रहे हैं, लेकिन विचारों पर चुप हैं।

भगत सिंह के विचार को जो समझ लेगा, वह आरएसएस से दूर हो जाएगा। वे सांप्रदायिकता के बिल्कुल खिलाफ थे। हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्षधर थे। गंगा-जमनी तहजीब के साथ थे। वे आर्थिक बराबरी की बात करते थे। इसीलिए पूंजी के वर्चस्व के खिलाफ थे। वे मार्क्स और लेनिन के विचारों के साथ थे। फांसी को चूमने से पहले वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे। वे किसानों की दशा बदलना चाहते थे। हर प्रकार के सामाजिक भेदभाव के खिलाफ थे। उनकी एक प्रसिद्ध किताब है-मैं नास्तिक क्यों हूं।

अब बताइए भाजपा नेता इन विचारों पर कैसे बोल सकते हैं। प्रियंका गांधी का ट्वीट खास है। उन्होंने भगत सिंह को उनके विचारों के साथ याद किया है। कहा- शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की शहादत एक ऐसी व्यवस्था के सपने के लिए थी जो बंटवारे नहीं, बराबरी पर आधारित हो जिसमें सत्ता के अहंकार को नहीं, नागरिकों के अधिकार को तरजीह मिले व सब मिलजुलकर देश के भविष्य का निर्माण करें आइए साथ मिलकर इन विचारों को मजबूत करें।

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By Editor