अमौर: 30 साल से मस्तान का किला है यह सीट, मीम ने सेनापति को मैदान में उतारा

असदुद्दीन ओवैसी और अख्तरुल इमान (नीचे) एवं अमौर के वर्तमान विधायक जलील मस्तान (ऊपर)

विश्व प्रसिद्द आमेर का किला भले ही राजस्थान में है, पर बिहार में अमौर विधानसभा एक ऐसी सीट है जिसे कांग्रेस पार्टी का 30 साल पुराना अभेद किला कहा जाता है. AIMIM ने वर्तमान विधायक अब्दुल जलील मस्तान को हराने के लिए पार्टी के सेनापति को ही मैदान में उतार दिया है.

AIMIM (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen) के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान (Akhtarul Iman) बिहार के किशनगंज जिले के कोचाधमन सीट से जदयू के विधायक रह चुके हैं. वह राष्ट्रीय जनता दल के में भी रहे हैं. इसलिए बिहार की राजनीति में जाना पहचाना नाम हैं.

मौजूदा दौर में अख्तरुल इमान को बिहार में मीम का चेहरा माना जाता है. इसलिए पार्टी ने उन्हें अमौर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. इस सीट पर पिछले तीस सालों से अधिक समय से कांग्रेस के अब्दुल जलील मस्तान (Abdul Zalil Mastan) का कब्ज़ा रहा है.

मस्तान साल 1985 में पहली बार अमौर सीट से विधायक चुने गए थे. उस समय उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीता था. 2010 के बिहार चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सबा ज़फर ने अमौर में चुनाव जीतकर मस्तान के जीत का क्रम तोड़ा था.

लेकिन 2015 में अब्दुल जलील मस्तान ने अमौर सीट जीतकर फिर से वापसी की. वह लगातार छठी बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इसलिए राज्य के राजनीतिक गलियारों में अमौर को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है.

बिहार चुनाव में तीसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार ज़ोरों पर है. इसी क्रम में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान के लिए पूर्णिया के अमौर विधानसभा सीट में चुनाव प्रचार किया.

ओवैसी ने अख्तरुल ईमान की तारीफ करते हुए कहा कि अख्तरुल इमान आपके सेवक होंगे. जब असदुद्दीन ओवैसी ने इस सीट से चुनाव प्रचार किया तब लोगों की ज़बरदस्त भीड़ ने चुनावी सभा में हिस्सा लिया.

AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान पहले जदयू से किशनगंज की कोचाधमन सीट से पहले भी विधायक रह चुके हैं. इसके बाद वह मीम में शामिल हुए. इस बार पार्टी ने उन्हें अमौर से चुनाव लड़वाया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अख्तरुल इस सीट से जीत हासिल कर पाते हैं या नहीं.

By Editor