बिहार विधानसभा सचिवालय में निम्नवर्गीय लिपिकों की नियुक्ति में हुये घोटाला मामले में सतर्कता अन्वषण ब्यूरो ने आज विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सदानंद सिंह समेत 40 लोगों के खिलाफ आज विशेष अदालत में आरोप-पत्र दाखिल किया।


ब्यूरो ने यह आरोप-पत्र भारतीय दंड विधान, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और बिहार परीक्षा संचालन अधिनियम की अलग-अलग धाराओं में विशेष न्यायाधीश मधुकर कुमार की अदालत में दायर किया है।
आरोपितों में श्री सिंह के अलावा 12 वीं विधानसभा के तत्कालीन अवर सचिव बैजू प्रसाद सिंह, अवर सचिव रामेश्वर प्रसाद चौधरी, उप सचिव वशिष्ठ देव तिवारी, उप सचिव पुरुषोत्तम मिश्रा, उप सचिव अरुण कुमार यादव, आप्त सचिव सुबोध कुमार जायसवाल, आप्त सचिव कामेश्वर प्रसाद सिंह, उप सचिव राजकिशोर रावत और अन्य लाभार्थी शामिल हैं।

लाभार्थियों में प्रेरणा कुमारी, अवधेश कुमार सिंह, संजय कुमार, राकेश कुमार, नवीन कुमार, सत्यनारायण, संजीव कुमार, नीरज आजाद, पंकज कुमार रवि, देव कुमार, मनीष कुमार, संजीव कुमार सिंह, वसीम अहमद, राकेश कुमार सिंह, फिरोज अख्तर खान, सुश्री सुषमा, भगवान प्रसाद, रंजीत प्रसाद, राजकुमार सिंह, रतन कुमार, संजय कुमार रावत, अमरेंद्र कुमार सिंह, अर्जुन कुमार, ऊषा कुमारी, प्रफुल्ल चंद्र पासवान, मिथिलेश कुमार मिश्रा, सूर्यनारायण राम, सिकंदर आलम, संगीता कुमार सिंह, संजय कुमार सिंह, राजीव कुमार चौधरी के नाम हैं।
इस मामले में ब्यूरो तत्कालीन विधानसभा सचिव सह परीक्ष समिति के अध्यक्ष झौरी प्रसाद पाल के खिलाफ 25 अक्टूबर 2016 को ही आरोप-पत्र दाखिल कर चुका है।
आरोप-पत्र के अनुसार, 12 वीं बिहार विधानसभा के कार्यकाल के दौरान विधानसभा सचिवालय में निम्नवर्गीय लिपिकों की बहाली में सरकारी पद का दुरुपयोग, धोखाधड़ी, जालसाजी एवं साक्ष्य मिटाने का प्रयास, एक आपराधिक षड्यंत्र के तहत आरोपितों द्वारा अपने निजी लाभ के लिए किया गया था। चयन समिति के गठन में अनियमितता बरती गई थी। उत्तरपुस्तिकाओं को बदलवाया गया था। मनोवांछित अंक दिये गये थे और अपने परिवार के सदस्यों एवं मित्रों को बिना परीक्षा में शामिल हुये चयनित कर उनकी नियुक्ति की गई थी। मामला वर्ष 2011 का है। इस सिलसिले में प्राथमिकी 09 मई 2011 को दर्ज की गई थी।

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