बिहारी आईएएस ने जारी किया नेताजी का सौ साल पुराना पत्र

बिहार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस का सौ साल पुराना एक पत्र जारी किया है। जानिए क्यों यह पत्र अनूठा है।

शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने नेताजी का सौ साल पुराना पत्र जारी किया है, जो नेताजी के जीवन के सबसे खास पत्रों में से एक है। उन्होंने यह पत्र 22 अप्रैल, 1921 को लिखा था। यह पत्र इसलिए खास है, क्योंकि यह इंडियन सिविल सर्विस से उनका त्यागपत्र था।

नेताजी तब लंदन में थे। 16 हर्बर्ट स्ट्रीट, कैंब्रिज से लिखे इस पत्र में नेता जी ने लिखा- इंडियन सिविल सर्विस के प्रोबेशनर्स की सूची से मैं चाहता हूं कि मेरा नाम हटा दिया जाए। मैं कहना चाहता हूं कि मेरा चयन 1920 में हुई प्रतियोगिता के रिजल्ट के अनुसार हुआ।

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पत्र में नेता जी ने आगे लिखा है कि उन्हें 100 पौंड भत्ते के रूप में मिले हैं। जैसे ही उनका त्यागपत्र स्वीकार किया जाएगा, वे भारतीय दफ्तर में इस राशि को वापस कर देंगे। पत्र मि. राइट आनरेबल ईएस कनलिक एमपी, सेक्रेटरी आफ स्टेट फार इंडिया के नाम लिखा गया है।

बिहार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय कुमार ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस का यह पत्र उनके 125 वीं जयंती के अवसर पर आज जारी किया।

मालूम हो कि 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हो चुका था। देश आजादी के लिए अपने हर सपूत को बुला रहा था। ठीक ऐसे समय नेता जी ने अंग्रेजों की गुलामी करने से इनकार करके आंदोलन में जान फूंक दी। वे भारत आए और कांग्रेस के साथ आंदोलन को तेज करने में लग गए।

बिहार के आईएएस अधिकारी ने उनका यह पत्र जारी करके बताया है कि जब देश पुकारता है, तो देश से प्रेम करने वाले किस तरह त्याग करने को तत्पर हो जाते हैं। नेताजी चाहते, तो शाही जीलन बीता सकते थे, पर उन्होंने हमारे लिए, देश के लिए कांटों की राह कबूल की।      

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