भाजपा के खून में है आरक्षण-विरोध, अब तक गिराई हैं दो सरकारें

दूसरों का DNA देखने वाली BJP की सच्चाई यह है कि खुद उसके खून में है आरक्षण-विरोध। आरक्षण विरोध के कारण ही कर्पूरी ठाकुर व वीपी सिंह की सरकार गिरा दी।

इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम

बिहार में अतिपिछड़ों का आरक्षण बड़ा मुद्दा बन गया है। सामाजिक न्याय फिर से मुद्दा बन गया है। मंदिर-मस्जिद के नाम पर राजनीति करनेवाली भाजपा फंस गई है। एक बार फिर भाजपा बिहार में अलग-थलग पड़ गई है। राजद, जदयू सहित बिहार के सभी दल अतिपिछड़ों के आरक्षण के पक्ष में हैं और उनका कहना है कि भाजपा ने साजिश करके नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दी।

अब राजद ने आरक्षण पर भाजपा का इतिहास ही सबके सामने ला दिया है। राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि आरक्षण विरोध के कारण ही भाजपा ने देश में चार बार चुनी हुई सरकारों को गिरा दिया है। पहले दो बार जननायक कर्पूरी ठाकुर की सरकार गिरा दी और तीसरी बार मंडल कमीशन लागू करनेवाले तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस लेकर उनकी सरकार गिराई। भाजपा ने इसी मुद्दे पर मोरारजी देसाई की सरकार भी गिराई। बिहार में अपने लोगों से नगर निकाय में अतिपिछड़ों के आरक्षण के खिलाफ कोर्ट में मामला ले गई और आरक्षण के खिलाफ फैसले का स्वागत किया।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि आरक्षण का बिरोध तो भाजपा के डीएनए में है। पिछड़ी जातियों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए जब 1953 में काका कालेलकर आयोग का गठन किया गया था तो तत्कालीन जनसंघ ने इसका विरोध किया था। इसी प्रकार 1971 में जब तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने पिछड़ों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए जब मुंगेरी लाल आयोग का गठन किया, तब जनसंघ ने समर्थन वापस लेकर कर्पूरी जी की सरकार ही गिरा दी। कर्पूरी जी जब दूसरी बार जनता पार्टी की सरकार में बिहार के मुख्यमंत्री बने और 1978 में बिहार में पहली बार पिछड़ों के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू किए तो जनता पार्टी में शामिल जनसंघ के लोगों ने कर्पूरी जी की सरकार को अपदस्थ कर दिया था।

भाजपा ने 1978 में हीं केन्द्र की तत्कालीन मोरारजी देसाई की सरकार द्वारा पिछड़ों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए जब मंडल आयोग का गठन किया गया तो केन्द्र की मोरारजी देसाई की सरकार को अपदस्थ कर दिया गया। बाद में जनसंघ के लोगों ने जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी का गठन कर लिया।

1990 में जब केन्द्र की वीपी सिंह की सरकार ने मंडल आयोग की अनुशंसा को लागू करने का निर्णय लिया तो भाजपा ने न‌ केवल वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस लिया बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से उसके विरोध में भाजपा द्वारा कमंडल यात्रा निकाला गया।

कहने को सोमवार को बिहार भाजपा ने आरक्षण बचाओ धरना दिया। पर हाल यह है कि उसके बड़े नेता गिरिराज सिंह, मंगल पांडेय ने आरक्षण के पक्ष में एक ट्वीट तक नहीं किया।

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