भाजपा की जीत से महंगाई, बेरोजगारी पर चर्चा बंद

अब लगभग स्पष्ट हो चुका है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में चार में भाजपा सरकार बनाएगी। इसके साथ ही महंगाई, बेरोजगारी पर चर्चा बंद हो गई।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि महंगाई, बेरोजगारी फिलहाल बड़ा मुद्दा नहीं है। जनादेश यही है लोग भाजपा से संतुष्ट हैं। भाजपा समर्थक संतुष्ट के बदले कह सकते हैं कि जनता खुश है। विपक्ष के लिए जनादेश यही है कि आप अभी सड़क पर संघर्ष करिए। संगठन बनाइए।

बेरोजगारी-महंगाई की बात करनेवाले इस चुनाव परिणाम से निराश हैं। नौकरशाही डॉट कॉम को भाजपा समर्थकों ने फोन करके कहा कि यह जीत हिंदुत्व की जीत है। ये समर्थक कह रहे थे कि पहले देश है। देश रहेगा, तभी तो हम रहेंगे। लगता है महंगाई, बेरोजगारी पर भाजपा का राष्ट्रवाद, हिंदुत्व भारी पड़ा।

कुछ विश्लेषक कह रहे हैं कि दबंग जातियों के साथ कमजोर पिछड़े नहीं जाना चाहते। जैसे जाट बहुल इलाके में गैर जाट पिछड़े जाटों के साथ नहीं गए। यही ट्रेंड यादव बहुल इलाके में हुआ। हालांकि यादव-मुुस्लिम के अलावा अन्य पिछड़ों का वोट सपा को मिला, तभी तो वह 2017 की 55 सीटों से पिलहाल दोगुना से अदिक दिख रही है।

यूपी चुनाव परिणाम में भाजपा की जीत के साथ ही छुट्टा सांड़ों का मामला भी चर्चा से बाहर हो गया है। अब यूपी में सरकारी कर्मियों की पुरानी पेंशन की मांग भी नहीं उठ पाएगी। भाजपा पुरानी पेंशन स्कीम को अर्थव्यवस्था के लिए घातक बता चुकी है।

जनता ने भाजपा के विकास मॉडल पर मुहर लगा दी है। इसलिए अब उम्मीद की जानी चाहिए कि फोरलेन, अयोध्या, काशी, मुथुरा का विकास होगा। छोटे उद्योग-व्यवसाय की खस्ता हालत को भी विपक्ष ने मुद्दा बनाया था। इस क्षेत्र के उद्यमियों की चुनाव परिणाम पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

यूपी के मतदाताओं ने फिर से भाजपा को जनादेश दिया है, लेकिन विपक्ष की ताकत भी बढ़ाई है। एक-दो महीने तो सत्ता पक्ष के जश्न और विपक्ष के मंथन में ही बीत जाएंगे, उसके बाद देखना होगा कि विपक्ष अपनी बढ़ी हुई ताकत का उपयोग किस प्रकार करता है और सत्ता पक्ष किस प्रकार अपने विकास मॉडल को आगे बढ़ाता है।

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