भाजपा नहीं बना पा रही हिंदुत्व एजेंडा, अड़ गए नीतीश

बिहार सरकार में किसका एजेंडा चलेगा? कल भाजपा के मंत्री ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी है। आज नीतीश ने खारिज कर दिया। ललन ने भी खोला मोर्चा।

बिहार एनडीए में अधिक विधायक होने के बाद भाजपा बड़ा भाई बनना चाहती थी, लेकिन अब तक वह इसमें सफल नहीं हुई है। भाजपा कोटे से वन एवं पर्यावरण मंत्री नीरज सिंह बबलू ने कल कहा था कि यूपी की तरह बिहार में भी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना जरूरी है। उनके इस बयान से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिल्कुल ही किसी दबाव में नहीं दिखे और आज दो टूक शब्दों में खारिज कर दिया।

भाजपा रह-रहकर अपना हिंदुत्व का एजेंडा बिहार में चलाना चाहती है, पर अबतक वह इसमें सफल नहीं हुई है। जनसंख्या नियंत्रण कानून से पहले वह लव-जिहाद के नाम पर कानून बनाना चाहती थी, उसमें भी वह सफल नहीं हो सकी। आज मुख्यमंत्री ने भाजपा कोटे के मंत्री बबलू की जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग को सिरे से खारिज कर दिया।

भाजपा भी फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है। कल दिल्ली के जंतर-मंतर पर जिस तरह भाजपा नेता के नेतृत्व में खुलेआम मुस्लिमों के खिलाफ नारे लगे, वैसा कुछ करने से बिहार में पार्टी बचती रही है। इसके बाावजूद वह सांप्रदायिक एजेंडा लाने की कोशिश करती रही है।

भाजपा के मंत्री ने कहा था कि हम जनसंख्या विस्फोट के कगार पर हैं। इसलिए कानून बनना चाहिए। आज मुख्यमंत्री ने बता दिया कि जनसंख्या विस्फोट का प्रचार झूठ है। उन्होंने कहा कि बिहार में पहले प्रजनन दर चार थी, जो घटकर तीन हो गई है। हम कुछ ही वर्षों में दो पर आ जाएंगे। दो पर आने का अर्थ है जनसंख्या का स्थिर हो जाना। उन्होंने बताया चार से तीन पर आने के पीछे मुख्य कारण है महिलाओं में शिक्षा का प्रसार।

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उधर, जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आज भाजपा पर दबाव बढ़ानेवाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि देश में जातीय जमगणना होनी चाहिए। इससे पिछड़ों को उनका हक दिलाने में मदद मिलेगी। जातीय जनगणना के सवाल पर भाजपा ने चुप्पी साध रखी है। अगर केंद्र ने जातीय जनगणना नहीं कराई, और मुख्यमंत्री राज्य में कराने को तत्पर हुए, तो भाजपा क्या करेगी?

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