चाचा के धोखे के बाद अब क्या करेंगे चिराग

लोजपा दो-फाड़ हो गई। इसमें एक बात स्पष्ट है, दूसरी बात स्पष्ट होने में थोड़ा समय लगेगा। छह में पांच सांसद चाचा के साथ गए। दोराहे पर चिराग अब क्या करेंगे?

कुमार अनिल

रामविलास पासवान की पहली बरसी भी नहीं हुई कि चाचा ने भतीजे को धोखा दे दिया। लोजपा के छह में पांच सांसद चिराग से अलग हो गए। उन्होंने अपना नया नेता रामविलास के भाई पशुपति कुमार पारस (हाजीपुर) को चुन लिया। इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष को भी लिखिति जानकारी दे दी गई। पारस के अलावा अन्य सांसद हैं- चौधरी महबूब अली कैसर (खगड़िया), वीणा देवी (वैशाली), प्रिंस राज (समस्तीपुर) और चंदन सिंह (नवादा)।

जिस तरह पारस ने नीतीश कुमार को विकास पुरुष कहा है, उससे स्पष्ट है कि लोजपा को तोड़ने में जदयू की भूमिका रही है। यह भी स्पष्ट है कि बिना भाजपा की सहमति के यह संभव नहीं था। अब नई लोजपा के नेता पारस को केंद्र में मंत्री बनाए जाने की भी चर्चा शुरू हो गई है।

अब चिराग क्या करेंगे? उनके सामने अब दो रास्ते हैं। पहला, पिता रामविलास पासवान की तरह राजनीति के बियाबान में अपनी राह खुद तैयार करने के लिए जमीन से जुड़ें। उनके साथ जो धोखा किया गया, इसे लेकर वे जनता जाएं और सबसे बढ़कर जनता के सवाल पर संघर्ष का रास्ता अपनाएं। यह कठिन रास्ता है और चिराग की जिस तरह राजनीतिक परवरिश हुई है, उसमें नहीं लगता कि वे संघर्ष के लंबे रास्ते का चुनाव करेंगे।

भाजपा में चिराग के शामिल होने या एनडीए में बने रहने का अब कोई औचित्य नहीं है। वैसे भी भाजपा उन्हें लेने से रही। अब दूसरा रास्ता उनके सामने यह है कि वे राजद के निकट जाएं। राजद ने इशारा भी किया है।

राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने पारस व नीतीश कुमार की भूमिका की आलोचना की है। साफ है, उनकी सहानुभूति चिराग के साथ है। उन्होंने ट्वीट किया-नीतीश कुमार की ज़मीन तो इस चुनाव में खिसक चुकी है, अब अपना ज़मीर भी खो दिया है। स्वर्गीय रामबिलास पासवान जी की मृत्यु के छह महीने बाद ही ऐसा करना उनके समर्थकों को चिढ़ाना है। पासवान जी के समर्थक सब देख और समझ रहे है।

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रामविलास के दामाद अनिल साधु ने ट्विट किया-धोखा ! भोलेपन का फायदा ! एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा-मेरी पूरी सहानुभूति चिराग जी के साथ है। पिता की मृत्यु के सदमे से उबरने की कोशिश कर रहे थे और नरेंद्र मोदी-नीतीश कुमार ने बढ़िया से श्रद्धांजलि दे दी। मुझे दुख इस बात का है कि चिराग जी कभी अपने-पराए का भेदभाव नहीं समझ सके ! इस तरह अनिल साधु ने भी एनडीए से अलग राह अपनाने की सलाह दी है।

ज्यादा समय नहीं लगेगा, चिराग भी जल्दी ही अपना रास्ता स्पष्ट करेंगे।

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