Custodial Deaths : गुजरात टॉपर, ऊपर के तीन भाजपा प्रदेश

Custodial Deaths : गुजरात टॉपर, ऊपर के तीन भाजपा प्रदेश

Custodial Deaths यानी पुलिस हिरासत में मौत लोकतंत्र और मानवाधिकार के लिहाज से शर्मनाक है। इस मामले में गुजरात टॉप पर है। टॉप 3 भाजपा शासित प्रदेश।

हिरासत में मौत किसी भी लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है। इस मामले में देश में गुजरात पहले नंबर पर है। दूसरे नंबर पर है महाराष्ट्र तथा तीसरे नंबर पर है उत्तर प्रदेश अर्थात टॉप तीन प्रदेश भाजपा शासित राज्य हैं। यह तथ्य खुद केंद्र सरकार ने राज्य सभा में पेश किया है।

हिरासत में मौत का आंकड़ा गृह मंत्रालय ने राज्य सभा में एक प्रश्न के उत्तर में दिया। पिछले पांच वर्षों में हिरासत में मौत सबसे ज्यादा गुजरात में हुई। यहां हिरासत में 80 लोगों की मौत हुई। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, जहां पिछले पांच वर्षों में 76 लोगों की मौत हुई तथा उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर है, जहां 41 लोगों की मौत हुई।

हिरासत में मौत मामले में बिहार पांचवें नंबर पर है। यहां पिछले पांच वर्षों में 38 लोगों की मौत हुई, जबकि चौथे पर नंबर पर तमिलनाडु है, जहां 40 लोगों की मौत हुई। हिरासत में मौत का यह आंकड़ा 1 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च 2022 के बीच का है। राज्य सभा में इसकी जानकारी गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दी। जानकारी के अनुसार वर्ष 2017-18 में 146, 2018-19 में 136, 2019-20 में 112, वर्ष 2020-21 में 100 तथा 2021-22 में 175 लोगों की हिरासत में मौत हुई। इसका अर्थ है कि सबसे ज्यादा हिरासत में मौत पिछले वर्ष हुई है।

हिरासत में मौत मामले पर कानून में सख्त सजा का प्रावधान है। ऐसा होने पर संबंधित पुलिस कर्मी या अधिकारी पर धारा 302 के तहत हत्या का मुकदमा चलाने का प्रवधान है। इंडिया टुडे की एक खबर के मुताबिक पिछले 20 वर्षों में 1888 लोगों की मौत हुई, लेकिन सजा केवल 26 पुलिसकर्मियों को हुई। हिरासत में मौत मामलों में इतनी कम सजा पूरी व्यवस्था पर सवाल उठाती है।

हिरासत में मौत किसी भी लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है। अधिकतर मामलों में कमजोर वर्ग के लोग ही हिरासत में मौत का शिकार होते हैं।

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