दंगाई मनीष को पत्रकार साबित करने पर घिर गईं चित्रा त्रिपाठी

आजतक की चित्रा त्रिपाठी के मुंह में दही जमा था, जब कप्पन, उमर खालिद और डॉ. कफील पर यूएपीए लगा। अब दंगाई मनीष कश्यप को पत्रकार साबित करने पर घिरीं।

मनीष कश्यप जिस भाषा में मुस्लिमों के खिलाफ जहर उगलता था, उसे हमें लिख नहीं सकते, गोली मारने की बात करता था, तिमलनाडु और बिहार में हिंसा फैलाने की कोशिश की, फर्जी वीडियो बनाया, उसके बचाव में आजतक की चित्रा त्रिपाठी खुल कुर उतरीं। मनीष को भटका हुआ युवा बता कर एनएसए लगाने का विरोध किया, तो सोशल मीडिया में लोगों ने क्लास लगा दी।

4 पीएम सांध्य समाचार के संपादक संजय शर्मा ने कहा-मॉफ कीजियेगा ! पूरे राज्य में तनाव पैदा करने की साज़िश थी यह ! यह शख़्स कोई पत्रकार नही ! पत्रकार होता तो खु़लेआम एक समुदाय के लोगों की हत्या की बात नहीं करता ! इसका दिमाग़ ज़हर से भरा हुआ है ! अच्छा होता ऐसा ख़्याल कप्पन के लिये आया होता जो एक दलित लड़की की बेरहमी से की गयी हत्या की रिपोर्टिंग करने आया था !

पत्रकार सदाफ आफरीन ने लिखा-मतलब, गज़ब का बवाल छिड़ा हुआ है! NSA BJP शासित राज्यों मे किसी मुस्लिम पर लगे तो ठीक! NSA गैर BJP शासित मे लगे तो गलत कैसे? NSA डॉक्टर कफील पर लगा तो ठीक? NSA उमर खालिद पर लगा तो ठीक? NSA सिद्दीकी कप्पन पर लगा तो ठीक? NSA आसिफ सुल्तान पर लगा तो ठीक? NSA इरफान मेहराज पर लगा तो ठीक? NSA मनीष कश्यप पर लगा तो गलत कैसे?

माले के पॉलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा ने कहा-बिहारशरीफ और सासाराम की विस्तृत जांच हो तो सरकार_प्रशासन को कई मनीष कश्यप मिलेंगे! अमन और भाईचारे के दुश्मन ऐसे तत्वों की खोज खबर सरकार को लेना चाहिए!

लेखक अशोक कुमार पांडेय ने लिखा-मनीष कश्यप की गिरफ़्तारी पर जिस तरह NSA लगाने का विरोध हो रहा है वैसा सिद्दीक़ कप्पन के समय हुआ होता तो कोई बात होती। इतनी सी बात लोग नहीं समझ पाते कि जो ग़लत परंपराएँ शुरू हो रही हैं उनका असर एक ही जगह सीमित नहीं रहेगा।

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