Editorial Comment-नीतीश के डंडे से उपेंद्र कुशवाहा चित होंगे या Bounce Back करेंगे? 

[author image=”http://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/06/irshadul.haque_.jpg” ]Irshadul Haque, Editor naukarshahi.com[/author]

पिछले दो दिनों में नीतीश कुमार( सरकार) ने उपेंद्र कुशावाह पर दो तरह से डंडे बरसाये। पहला यह  कुशवाहा समाज के आक्रोश मार्च कर रहे लोगों को पुलिस ने बेरहमी से पीटा।

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दूसरा- रविवार को अचानक नीतीश खेमे ने दूसरा सियासी डंडा चलाया. कुशवाहा के विधायक सुधांशु शेखर जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर से चोरी-छुपे मिलने पहुंच गये. माना जा रहा है कि शेखर जदयू में शामिल हो जायेंगे और बदले में मंत्री बन बैठेंगे. कुशवाहा की RLSP के दो विधायक हैं.

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चेनारी विधायक ललन पासवान पहले ही कुशवाहा से बगावत कर चुके हैं. अगर नीतीश का कुशवाहा फार्मुला सफल रहा तो RLSP का वजूद विधान सभा से खत्म हो जायेगा.

नीतीश कुमार का ताजातरीन कदम सफल रहा तो उपेंद्र कुशवाहा बजाहिर चित हो जायेंगे.

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दर असल उपेंद्र कुशवाहा ने पिछले छह महीने से न सिर्फ नीतीश कुमार बल्कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नाक में दम कर रखा है. वह एक तरफ नीतीश सरकार की तमाम पालिसियों के खिलाफ सडक से ले कर मीडिया तक आलोचना के तीर चलाते रहे हैं. दसरी तरफ सीट शेयरिंग के NDA की रणनीति में पलीता भी लगाये हुए हैं.

नीतीश का कुशवाहा डंडा

इस बीच नीतीश कुमार, अमित शाह को यह समझाने में सफल रहे हैं कि अगर कुशवाहा ने सीट शेयरिंग के फार्मुला को नहीं माना तो उनका हिसाब किताब वह खुद कर देंगे. इसी हिसाब-किताब के तहत, जदयू ने RLSP के विधायक सुधांशु शेखर को तोड़ने की कार्वाई शुरू कर दी है. शेखर भी खुद कुशवहा हैं. जूनियर कुशवाहा को तोड़ कर नीतीश यह मैसेज देना चाहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा की बिरादरी के लोग ही उनके साथ हैं.

नीतीश का यह डंडा काम आ गया तो कुशवाहा की पार्टी का वजूद विधानसभा से मिट जायेगा. जो उपेंद्र कुशवाहा के लिए तात्कालिक रूप से करारा झटका होगा. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या उपेंद्र कुशवाहा इस झटके से आसानी से उबर पायेंगे?

तब तो NDA छोड़ ही देंगे कुशवाहा

दर असल बिहार में यादवों के बाद, कुशवाहा सबसे बड़ी आबादी है. उपेंद्र कुशवाहा NDA का हिस्सा हैं. नीतीश ने अगर RLSP को तोड़ दिया तो यह तय हो जायेगा कि उपेंद्र कुशवाहा NDA छोड़ देंगे. उपेंद्र कुशवाहा का NDA छोड़ना भापा गठबंधन के लिए मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालेगा. क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा आज के समय में बिहार के सबसे प्रभावशाली नेता की छवि बना चुके हैं. अगर वह राजद के महा गठंधन में गये तो भाजपा गठबंधन को करारा झटका लगेगा.

ऐसे में एक सूरत यह होगी कि अमित शाह, नीतीश कुमार पर दबाव डाल कर RLSP को टूटने से रोकेंगे. लेकिन वह चाहेंगे कि कुशवाहा अपनी औकात में रहें. तब उपेंद्र कुशावाह को झुकना पड़ेगा.

इस पूरे प्रकरण का एक रिजल्ट यह होगा कि कुशवाहा बिना किसी चिंता के ऐलान कर दें कि वह राजद से गठबंधन करेंगे तो इसका फायदा निश्चित तौर पर राजद के महागठबंधन को होगा. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा की दिक्कत यह है कि वह अब तक लुक्का-छिप्पी का खेल खेलते रहे हैं और अभी तक किसी कंक्रीट नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं.

कुशवाहा की ढ़ीली पड़ती अकड़

अब तक उपेंद्र कुशवाहा अकड़ दिखाते रहे हैं. वह कुशवाहा समाज के ‘साथ नाइंसफी’ बर्दाश्त करने को तैयार नहीं थे. लेकिन नीतीश के मास्टर स्ट्राक के बाद अचान उपेंद्र कुशवाहा ढ़ीले पड़ते दिख रहे हैं. उन्होंने इस घटनाक्रम के तुरत बाद अमित शाह से मिलने की तैयारी में हैं ताकि मामला सलट जाये. तो क्या कुशवाहा का ऊंट अब पहाड़ के नीचे आने को है?

फिलहाल ऐसा लगता है कि कुशावाहा निर्णय लेने में साहसिक नहीं बन पाये हैं. वह एक कदम आगे और दो कदम पीछे चलते दिख रहे हैं.

लेकिन राजनीतिक पंड़ितों का मानना है कि अगर कुशवाहा बोल्ड डीसिजन लें तो भविष्य में बाउंस बैक कर सकते हैं.

 

 

 

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