अयोध्‍या की विवादित राम जन्‍मभूमि मामले की सुनवाई अब 10 जनवरी से होगी। इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली बेंच को करना है। हालांकि पिछले शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि यह मुद्दा राजनीतिक तौर पर संवेदनशील है। लिहाजा तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी।  हालांकि अब पांच जजों की संवैधानिक बेंच बनाई गई है।

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नौकरशाही डेस्‍क

इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस यूयू ललिति, जस्टिस बोबडे और जस्टिस एनवी रमन्ना होंगे। इससे पहले 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई नई पीठ करेगी।

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सनद रहे कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में दिए अपने फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन को रामलला,निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड- तीनों पक्षों में बराबर बांटने का फैसला सुनाया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 याचिकाएं दायर हुई हैं।

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सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर सुनवाई में हो रही देरी पर विभिन्न हिन्दू संगठन राम मंदिर का यथाशीघ्र निर्माण करने के लिए केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में स्पष्ट कर दिया कि अयोध्या में राम मंदिर के मामले में न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अध्यादेश लाने के बारे में निर्णय का सवाल उठेगा।

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लिहाजा लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राम मंदिर का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी अहम माना जा रहा है।

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