गांधी, गांधी और गांधी! पीके ने बिहार के ठहरे पानी में फेंका कंकड़

पीके ने नई पारी की धमाकेदार घोषणा कर दी। 3 हजार किमी पदयात्रा करेंगे। यह साधारण बात नहीं। गांधी, गांधी और गांधी! पीके ने बिहार के ठहरे पानी में फेंका कंकड़।

कुमार अनिल

आज प्रशांत किशोर ने धमाकेदार घोषणा के साथ नई राजनीतिक पारी का एलान कर दिया। वे बिहार में तीन हजार किमी पदयात्रा करेंगे। यह साधारण बात नहीं है और आज की वाट्सएप पॉलिटिक्स, बड़े इवेंट और तामझाम वाले दौर में यह बहुत ही साहस की बात कही जाएगी।

प्रशांत किशोर ने भविष्य की जो रणनीति पेश की, उसके केंद्र में गांधी हैं। इस देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में गांधी के बाराबर किसी ने पदयात्रा नहीं की है। उनकी कई पदयात्राओं ने देश में हलचल मचा दी थी। प्रशांत किशोर ने आज जिस मंच से अपनी घोषणा की, उसके पीछे महात्मा गांधी की बड़ी तस्वीर थी। वे उसी चंपारण से पदयात्रा शुरू कर रहे हैं, जहां कभी गांधी ने सत्याग्रह का पहला प्रयोग किया था। अंग्रेजों को झुकाया था। प्रशांत किशोर अपनी यात्रा गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर से ही शुरू करेंगे।

आज गांधी के साथ खड़े होने पर गालियां मिलती हैं और गोडसे को महान बताइए, तो तालियां मिलती हैं। इस दौर में गांधी पर इतना जोर देना, यह साहस की बात है। हिंदुत्व की राजनीति करनेवाले भाजपा और संघ के लोग दिन-रात गांधी को विलेन साबित करने में लगे हैं। अब तो केजरीवाल भी गांधी से डरते हैं। गांधी से डरते हैं इसीलिए न शाहीनबाग गए और न जहांगीरपुरी। इसके बावजूद पीके का गांधी पर इतना जोर देने का अर्थ ही है कि उन्हें केजरीवाल, भाजपा और संघ के खिलाफ जाना होगा।

कभी दक्षिण अफ्रीका से भारत आने के बाद गांधी ने पूरे देश की यात्रा की थी, अब पीके ने बिहार के हर जिले-प्रखंड में पदयात्रा का एलान किया है। पीके चाहते तो जन सुराज के लिए बैठे-बैठे मिस्ड कॉल पर सदस्य बना सकते थे। पन्ना प्रमुख बना सकते थे। लेकिन उन्होंने काम करने के तरीके का चुनाव भी भाजपा के समानांतर किया है। गांधीवादी तरीके के अनुसार किया है।

पीके की पदयात्रा गांधी के बाद समाजवादियों और पुराने वामपंथियों की भी याद दिलाता है। जिस तरीके को इन धाराओं ने छोड़ दिया, पीके ने वही पुराना तरीका अपनाया है। बिहार में तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और कन्हैया कुमार जैसे युवा नेता हैं, पर शुरुआत पीके कर रहे हैं।

आज पीके ने किसी दल पर राजनीतिक हमला करने के बजाय बिहार की चिंता दिखाई। कहा, नीतीश ने भी कुछ काम किया है, लालू ने भी कुछ काम किया है। दोनों दलों के दावे में कुछ सच्चाई भी है, लेकिन यह भी सच है कि बिहार आज सबसे गरीब प्रदेश है। हर मामले में पिछड़ा। बिहार फंस गया है। अगर बिहार को आगे जाना है, तो एक नई रजनीति की शुरुआत करनी होगी।

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