गोदी पत्रकारों पर बिगड़ा SC, न्यूज को कम्युनल कलर न दें

जमायत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने समाचार को सांप्रदायिक रंग देने की सख्त आलोचना की। कहा, इससे देश की छवि बिगड़ती है।

आज सुप्रीम कोर्ट ने जमायत उलेमा-ए-हिंद की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि न्यूज को सांप्रदायिक रंग देनेवाले देश की छवि बिगाड़ रहे हैं। जमायत ने तबलीगी जमात पर कोरोना फैलाने को आरोप गढ़नेवालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना के नेतृत्ववाली बेंच जमायत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें फेक न्यूज फैला कर तबलीगी जमात को कोरोना फैलाने का जिम्मेदार बताने वालों पर कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश देने की अपील की गई है। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया और वेब पोर्टल पर कोई अंकुश नहीं है और सबसे बड़ी समस्या फेक न्यूज और न्यूज को कम्युनल कलर देना है। ये प्लेटफॉर्म कोर्ट को जवाब भी नहीं देते।

लाइव लॉ के अनुसार, सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- न केवल सांप्रदायिक बल्कि प्रायोजित खबरें भी दिखाई जाती हैं। नए आईटी नियमों का उद्देश्य उन्हीं मुद्दों को संबोधित करना है, जिनकी CJI ने चर्चा की है।

लाइव लॉ की खबर में इस बात की चर्चा नहीं है कि न सिर्फ सोशल मीडिया, बल्कि देश के प्रमुख न्यूज चैनलों ने दिन-रात तबलीगी जमात को खिलाफ अभियान छेड़ रखा था, जिसमें कोविड फैलने के लिए जमात को ही जिम्मेदार बताया गया था। ऐसे न्यूज टीवी चैनलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

तब दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार भी कोविड केस का विवरण देते हुए रोज अलग से बताती थी कि कितने तबलीगी कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं। कोविड को तब एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए इस्तेमाल किया गया।

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