Good : 55 हजार चिंटुओं में किसी ने पेट्रोल बॉयकॉट नारा नहीं दिया

चिंटुओं के भी अनेक नाम होते हैं। भक्त, अंधभक्त, चरणचंपक नाम के अलावा अब तो उन्हें अंग्रेजी में भी नाम मिल गया- फ्रिंज एलिमेंट। उनकी समझदारी देखिए-

अब तक जो लोग चिंटुओं को मतिभ्रम का शिकार मान रहे थे, वे निराश हैं। जब अंधभक्त नाम पुराना पड़ने लगा, तो लेखक अशोक कुमार पांडेय ने नया नाम दिया। वे चरण चंपक कह कर पुकारते हैं। इन चरणचंपकों को आप गोबरमाइंडेड बिल्कुल नहीं कह सकते। इसका प्रमाण है। आज उन्होंने ट्रेंड कराया कि कतर के हवाई जहाज पर मत चढ़ो। उन्होंने यह नहीं कहा कि खाड़ी देशों के पेट्रोल-डीजल का बॉयकॉट करो। हवाई जहाज का बहिष्कार करो। कितनी समझदारी का अभियान चलाया।

चरण चंपकों की समझदारी देखिए कि अगर पेट्रोल के बहिष्कार का नारा देते, तो बाइक कैसे चलाते। कोई कह सकता है कि नाले की गैस से चला लेते, क्योंकि गैस से पर्यावरण को कम नुकसान होता है, लेकिन चरणचंपकों ने रिस्क नहीं लिया। उन्हें पता है कि नाले के गैस से चाय बनाने पर अभी आईआईटी के पूर्व शोधार्थी शोध कर रहे हैं। पता नहीं शोध पूरा करने में कितना समय लगे। इसीलिए उन्होंने हवाई यात्रा न करने का अभियान चलाया।

हवाई यात्रा बहिष्कार दिखने में कल्याणकारी नारा लगता है। इसमें सबका साथ और सबका विकास दोनों दिखता है। सबका साथ इस तरह कि जिनके पास हवाई चप्पल है और साइकिल पिछले लॉकडाउन में पुलिस ने जब्त कर ली, वे भी हवाई यात्रा से अपनी दुश्मनी निकाल सकते हैं. और जब हवाई यात्रा नहीं करेंगे, तो विकास खुद-ब-खुद हो जाएगा। उस बचत से वे कोई धाकड़ फिल्म देख सकते हैं।

हवाई यात्रा बहिष्कार कितनी बड़ी बात लगती है। पेट्रोल-डीजल का बहिष्कार कितना तुच्छ लगता है। चरणचंपक साधारण नहीं होते कि ऐरे-गैरे के बहिष्कार का नारा दे दें। कतर वाले हमारा सामान नहीं खरीदेंगे, तो हम उनके हवाई जहाज पर नहीं चढ़ेंगे। इतना कहने से ही लगता है कि चरण चंपक तो आधी लड़ाई जीत चुके। है कि नहीं…।

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