सही तालीम आज के बच्चों को कला का अच्छा नागरिक बनाने के लिए जरूरी

किसी भी कौम की तरक्की उसकी नौजवान नस्लें तय करती हैं और इन नौजवानों को जो कुछ सीखने को मिलता है वह अपने घर से अपने मां-बाप से,भाई-बहनों से और आसपास के लोगों से मिलता है.

 

तालीम की पहली सीढ़ी घर पर मां होती है. बच्चों के लिए पहला स्कूल मां की गोदी होती है. जैसे बच्चा देखता है सुनता है जिस माहौल में रहता है वैसा ही वह बड़ा होकर बनता है. जब मां की गोद का स्कूल कमजोर पड़ता है तथा स्कूल में बड़े लाड प्यार में गलत तालीम बच्चा हासिल करता है तो वह एक अच्छा बेटा या बेटी बनने की बजाय समाज और मां-बाप के लिए मुसीबत बन जाता है.

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यदि कोई बड़ा होकर गलत राह पर जाता है तो इसकी सबसे बड़ी वजह उसके मां-बाप होते हैं जो कि बच्चे के लालन-पालन में पूरा ध्यान नहीं देते आज के इस दौर में जबकि परिवार की जरूरतें बढ़ गई है घर का मुखिया घर चलाने के लिए काम आने पर ज्यादा ध्यान देने लगा है. ऐसे हालात में मां की अपने बच्चों को सही लालन-पालन करने की जिम्मेदारियां और बढ़ती जा रही हैं.

बच्चों को वक्त न देना

हम सभी देखते हैं कि आज के इस दौर में बच्चों की मां या तो नौकरियों में बिजी हो जाती हैं या फिर सोशल मीडिया यानी व्हाट्सएप फेसबुक आदि में बिजी हो जाती हैं.अपना पसंदीदा टीवी सीरियल देखने में वह इतना बिजी हो जाती है कि अपने बच्चों तक का ध्यान नहीं रख पाती. ऐसे में बच्चों को अपने मां बाप का प्यार नहीं मिल पाता है वह जिद्दी झगड़ालू तथा अपनी मनमर्जी करने लगता है. और फिर यह चीज है एक बार बच्चे की आदत में शुमार हो जाती है तो बच्चा अपनी गलत ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए या तो वह अपने खर्चे का वजन मां बाप पर डालता है या फिर गलत तरीके से पैसे कमाने के लिए चोरी झूठ या अन्य तरीके आजमाने लगता है.

बिगड़ैल क्यों होते हैं बच्चे

कहीं- कहीं वे यह बिगड़ा इतना खतरनाक हो जाता है कि  जवानी की दहलीज पर आते-आते जेल भी जाना पड़ता है. हालांकि दूसरे देशों की तरह से हमारे मुल्क में ज्यादा स्थिति नहीं बिगड़ी है अभी भी हम लोग अपने बच्चों का घर पर सही ध्यान रखें उन्हें मां बाप का पूरा प्यार मिले बच्चों के लिए मां-बाप अलग से टाइम निकालें उनकी हरकतों पर उनके मिलने जुलने वालों की हरकतों पर ध्यान रखें. यह देखे कि कहीं कम उम्र में भी बच्चा गलत सोहबत में तो नहीं पड़ रहा है .अपने बड़ों की इज्जत सही से कर रहा है या नहीं कहीं.

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बच्चों को सही जिंदगी जीने का सिलसिला टूट तो नहीं रहा है. यह सभी जिम्मेदारियां मां की है आज  देख रहे हैं  कि कई शहरों में बूढ़े लोगों के आश्रम बन रहे हैं बच्चे बड़े होकर अपने ही मां-बाप का ध्यान नहीं रख रहे हैं.

 

यह सभी बच्चों की गलत लालन-पालन के कारण हो रहा है इसलिए हम सभी की यह जिम्मेदारी है जाती है कि अपने घरों की औरतों को समझाएं कि वह बच्चों की प्यार से रखे. साथ ही उनकी आदतों पर भी ध्यान रखें. यह बच्चे ही सही राह पर चलकर कौम को सही राह पर ले जाए सकेंगे. आपका घर भी सही चलेगा और साथ ही बुढ़ापे में आपका ध्यान रखने वाला और कौम के लिए भी एक अच्छा नौजवान बन सकेगा.

By Editor