गोपालगंज में जीतते-जीतते हारा राजद, ये हैं तीन फैक्टर

मोकामा में राजद की जीत पहले ही पक्की मानी जा रही थी। सबकी नजर गोपालगंज पर थी। कई चुनावों से भाजपा जीतती रही है। यहां राजद की हार के ये हैं तीन कारण।

बिहार में दो विधानसभा क्षेत्रों मोकामा और गोपालगंज के उपचुनाव का रिजल्ट आ गया है। मोकामा में राजद की जीत पहले ही पक्की मानी जा रही थी। इसलिए सबकी नजर गोपालगंज पर टिकी थी। यहां कई दशकों से भाजपा का कब्जा रहा है। पिछली बार भाजपा ने 41,331 वोट से जीत हासिल की थी। बड़ी जीत थी। इस बार भाजपा को पिछली बार से लगभग 8 हजार कम वोट यानी 70053 मिले और वह किसी तरह 2183 वोट से चुनाव जीतने में कामयाब रही। वहीं राजद को यहां 67870 वोट मिले। पिछली बार राजद समर्थिक कांग्रेस को गोपालगंज में केवल 36460 वोट मिले थे और वह तीसरे स्थान पर थी। इस प्रकार राजद यहां 31,410 वोट बढ़ाने में सफल रहा, लेकिन जीत नहीं पाया। कांटे की टक्कर में वह हार गया।

हार के पीछे तीन फैक्टर हैं। पहला, राजद प्रत्याशी मोहन गुप्ता के बारे में सोशल मीडिया में यह प्रचार हुआ कि वे संघ के आदमी हैं। इससे मुस्लिम मतदाताओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई। दूसरा कारण, चुनाव से ऐन पहले प्रचार हुआ कि राजद प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो गया है। और तीसरा कारण है मोहन गुप्ता अपनी बिरादरी का वोट उतना नहीं पा सके, जितना उम्मीद की जा रही थी।

चुनाव परिणाम के बाद भाजपा में गोपालगंज परिणाम को लेकर खुशी है, वहीं महागठबंधन नेताओं ने इस जीत को सहानुभूति वोट की जीत बता कर खास महत्व नहीं दे रहे। ठीक इसके विपरीत महागठबंधन के दलों ने मोकामा की जीत पर खुशी जाहिर की है, जबकि भाजपा इसे बाहुबल की जीत बता कर कम महत्व दे रही है। परिणाम से एक बात स्पष्ट है कि बिहार में राजनीतिक संघर्ष की धार और भी तेज होने वाली है।

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