नरेंद्र मोदी का 22 अक्टूबर को गुजरात का सरकारी दौरा खत्म होगा तो कभी भी चुनावी बिगुल फूक दिया जायेगा. इस बीच कांग्रेस और हार्दिक पटेल ने संकेत दिये हैं कि वे एक दूसरे के साथ आ कर भाजपा को चुनौती पेश करेंगे. हालांकि हार्दिक खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे.

 

नौकरशाही ब्यूरो

इस बीच दिल्त नेता जिग्नेश मेवानी भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के इच्छुक नजर आ रहे हैं. पिछले हफ्ते इंडिया टीवी के एक कार्यक्रम में पाटिदार नेता हार्दिक पटेल   ने कहा था  कि गुजरात में अगर कांग्रेस जीतती है तो यह तानाशाही के खिलाफ जीत होगी. हालांकि उन्होंने कहा कि वह पाटीदारों के हक की लड़ाई तब तक लड़ते रहेंगे जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.

उधर गुजरात कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भरत सोलंकी ने हार्दिक को चुनाव लड़ने का आफर दिया है. हालांकि हार्दिक ने कहा है कि वह खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे.  उन्होंने ट्विटर पर लिखा   मुझे चुनाव नहीं लड़ना और चुनाव लड़ने का हमारा स्वार्थ भी नहीं हैं।हमें अधिकार चाहिए और न्याय,हम अहंकार के सामने लड़ रहें हैं।जीत हमारी होंगी.

हार्दिक चाहते हैं कि उनके उम्मीदवार खड़े हों और कांग्रेस उन्हें समर्थन करे. उधर दलित आंदोलन से उभरे जिग्नेश मेवानी भी भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं, ऐसे में कांग्रेस के साथ, भाजपा के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन की उम्मीद प्रबल हो गयी है.

हालांकि एक अन्य युवा और पिछड़ी जाति का प्रतिनिधित्व करने वाले  अल्पेश ठाकुर भी भाजपा की नीतियों के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं. पर अभी तक उन्होंने अपना पत्ता नहीं खोला है.

इन दोनों नेताओं के कांग्रेस के करीब आने से भाजपा की चुनौतियां काफी बढ़ती जा रही हैं. पाटीदारों की आबादी 12 प्रतिशत मानी जाती है, इसी तरह दलित कुल आबादी के 7 प्रतिशत हैं. परम्परागत रूप से पाटीदार भाजपा के साथ रहे हैं, लेकिन हार्दिक के राजनीतिक उभार के बाद पाटीदार( पटेलों) में भाजपा के खिलाफ भारी गोलबंदी दिख रही है.

 

 

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