हरियाणा में स्थानीय को 75 फीसदी आरक्षण को कहा विनाशकारी

दो दिन पहले हरियाणा में स्थानीय युवकों को 75 फीसदी आरक्षण देने के बिल पर राज्यपाल की सहमति के बाद पहली बार उठे विरोध के स्वर। निर्णय से किसे नुकसान?

कुमार अनिल

किसान आंदोलन से घिरे हरियाणा में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। दो दिन पहले खुद वहां के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी थी कि प्रदेश की कंपनियों, संस्थाओं, ट्रस्टों आदि में अब 75 फीसदी हरियाणा के युवकों की बहाली होगी। मालूम हो कि इस निर्णय के बाद नौकरशाही डॉट कॉम ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था कि इससे बिहार जैसे राज्य के युवाओं को सबसे ज्यादा नुकसान होगा।

आज इस नए कानून पर उस समय विवाद खड़ा हो गया जब देश की प्रतिष्ठित संस्था फिक्की ( फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज), जिससे देश की 2 लाख 50 हजार से ज्यादा छोटी-बड़ी कंपनियां जुड़ी हैं, ने खुलकर हरियाणा सरकार के इस निर्णय पर सवाल खड़े किए हैं।

फिक्की के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय शंकर ने कहा कि यह उद्योग जगत के लिए यह विनाशकारी निर्णय है। राज्य में उद्योग-व्यापार के विकास की दृष्टि से सरकार का यह निर्णय अनर्थकारी है। इनवेस्टर और आंत्रप्रेन्योर के लिए यह जरूरी होता है कि वह सबसे कुशल मानव संसाधन को नियुक्त करे। इसके लिए प्रतियोगिता होती है। इस तरह बेस्ट ह्यूमन रिसोर्स कंपनियों से जुड़ते हैं।

फिक्की के अध्यक्ष ने आगे कहा कि कंपनियों को ऐसी पाबंदियां हरियाणा से बाहर जाने को मजबूर करेंगी। आखिर में इस निर्णय से खुद हरियाणा को नुकसान होगा।

फिक्की के अध्यक्ष ने एक और भी बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि यह निर्णय भारतीय संविधान की मूल भावनाओं के भी खिलाफ जाता है, जिसमें संविधान किसी व्यक्ति को देश के किसी भी राज्य में आजीविका के लिए काम करने का अधिकार देता है।

सोशल मीडिया पर कई प्रमुख हस्तियों ने यह भी कहा कि इससे कंपनियों के कामकाज में सरकार का हस्तक्षेप बढ़ेगा। यह इंस्पेक्टर राज की वापसी होगी। सरकारी अधिकारी कंपनियों में आकर जांच करेंगे कि कितना किस प्रदेश के श्रमिक या स्टाफ हैं।

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