Imam Imadullah Rashidi जिन्होंने दंगे में बेटा खोया, बने अमन के हिमायती

इमाम इमादुल्लाह रशीदी ( इमाम नूरान मस्जिद आसनसोल) ने हाल ही में चल रहे एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून 2019 का विरोध कर रहे लोगों से आपसी भाईचारा और अमन कायम रखने की अपील की.

imadullah Rashidi
Imam Imadullah Rashid ने हाल ही में चल रहे एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून 209 का विरोध कर रहे लोगों से आपसी भाईचारा और अमन कायम रखने की अपील की.

उन्होंने कहा कि इस विरोध के कारण किसी भी समान्य व्यक्ति को नुकसान न पहुंचे और ना ही सरकार या निजी सम्पत्ति का नुकसान करें. कुछ लोगों द्वारा विरोध के नाम पर किया जा रहा उपद्रवी कार्य गलत है और न्यायसंगत नहीं है.

इमाम इमादुल्लाह रशीदी ने कहा कि  मैं लोगों से ऐसे माहौल मं शांति बनाय रखने की अपील करता हूं. उनके बेटे मोहम्मद सिबतुल्लाह रशीदी जो 16 वर्ष के थे और हाल ही में एनपीआर-एनआरसी आंदोलन के दौरान फसाद में मारे गये थे. इसके बावजूद रशीदी ने लोगों से इसका बदला ना लेने की अपील की और अमन बनाये रखने को कहा.

 

बेटे की जान पर दी इंसानियत को प्राथमिकता

इमाम इमादुल्लाह रशीदी ने कहा कि  मैं लोगों से ऐसे माहौल मं शांति बनाय रखने की अपील करता हूं. उनके बेटे मोहम्मद सिबतुल्लाह रशीदी जो 16 वर्ष के थे और हाल ही में एनपीआर-एनआरसी आंदोलन के दौरान फसाद में मारे गये थे. इसके बावजूद रशीदी ने लोगों से इसका बदला ना लेने की अपील की और अमन बनाये रखने को कहा.

उनकी इसी नेकी ने उन्हें अमन का हिमायती बनाया. इमाम ने लोगों से लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने की सलाह दी.

उनका कहना था कि अगर लोग इस कानून से डरे हुए हैं तो  वे अमनपूर्ण तरीके और कानून के दायरे में रह कर  विरोध जताने की सलाह दी ताकि किसी को भी अपना बेटा या करीबी रिश्तेदार को इस प्रकार के विरोध प्रदर्शन से जान न गंवानी पड़े.

इमाम रशीदी ने अपने बेटे को खोने के बावजूद इंसानियत को बचाने की पहलकदमी दिखाई. हमें ऐसे लोगों से प्रेरणा ले कर समाज में भाईचारे को मजूबत करने की पहल करनी चाहिए.

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By Editor