IPS ने बताया छात्रों के दिमाग में कैसे भरा जा रहा जहर

लीजिए, अब तो स्कूली छात्रों से कहा जा रहा है कि दिल्ली में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने 26 जनवरी को कैसे उत्पात मचाया, इस पर पत्र लिखें।

सोशल मीडिया पर हम रोज ही देखते हैं कि खास समुदाय के खिलाफ, किसान आंदोलन के खिलाफ किस तरह दुष्प्रचार किया जाता है। किसानों को देशद्रोही तक कहा गया। समाज को बांटने वाले, देश के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ जहर फैलाने में अब स्कूल भी शामिल हो गए हैं। देश की प्रतिष्ठित संस्था यूपीएससी की परीक्षाओं में भी विवादास्पद प्रश्न पूछे जा रहे हैं।

हुआ ये कि आज कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने स्कूली छात्रों से पूछे गए एक प्रश्न के संदर्भ में ट्विट करते हुए डीएवी से सवाल किया। उन्होंने उस सवाल का हिस्सा भी साझा किया, जिसमें छात्रों से कहा गया था कि वे अपने शहर के अखबार के संपादक के नाम पत्र लिखें। विषय दिया गया था- पिछले 26 जनवरी को दिल्ली में आंदोलनकारी किसानों ने जिस बुरी तरह हिंसा की, उससे देशभर के लोग नाराज हुए। कृषि कानूनों का विरोध करनेवालों ने तोड़फोड़, पुलिस पर हमले तक किए। इस घटना की निंदा करते हुए संपादक को पत्र लिखें।

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शशि थरूर के ट्विट का जवाब देते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ. एनसी अस्थाना ने कहा कि चकित न होइए। ये लिंक देखिए। लिंक इंडियन एक्सप्रेस अखबार की एक खबर का है, जिसमें यूपीएससी के परीक्षार्थियों से कहा गया था कि देश में सेकुलरिज्म के नाम पर भारतीय संस्कृति को किस प्रकार नुकसान हो रहा है। प्रश्न इस प्रकार था- धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हमारी सांस्कृतिक प्रथाओं के सामने क्या-क्या चुनौतियां हैं। यह प्रश्न सिविल सर्विसेज परीक्षा-2019 में पूछा गया था। यह 10 नंबर का सवाल था।

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इसे तब कई लोगों ने प्रतिष्ठित यूपीएससी का स्तरहीन होना बताया था। तब पूर्व आईएएस कन्नन गोपीनाथन ने कहा था कि उनका उत्तर होता- भारतीय धर्मनिरपेक्षता सकारात्मक विचार है, जिसमें सभी धर्मों को साथ लेते हुए अंधविश्वास जैसे हानिकारक प्रथाओं का विरोध भी है।

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