मुज्जफ्फरपुर के एसएसपी विवेक कुमार के निलंबन के बाद अब यह बहस जोरदार तरीके से उठने लगी है कि क्या कानून के शिकंजे का निशाना सिर्फ पिछड़े वर्गों के आईपीएस-आईएएस अफसरों को ही बनाया जाता है?

 

पिछले कुछ वर्षों में आईपीएस बाबू राम, आईएएस दीपक आनंद और अब आईपीएस विवेक कुमार पर हुई कार्रवाई के खिलाफ लोग सड़क पर उतर आये हैं.

पिछले दिनों आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में मुजफ्फरपुर के एसएसपी विवेक कुमार के यहां निगरानी का छापा पड़ा और उसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया. इसके खिलाफ सोमवार को राजद के नेताओं के साथ सत्ताधारी जदयू के नेता भी सड़क पर उतर आये और विरोध प्रदर्शन किया.

 

जदयू नेता और जेडीयू के पूर्व युवा प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुशवाहा ने कहा कि पिछड़े समाज के एसएसपी विवेक कुमार को सुनियोजित साजिश के तहत फंसाया गया है. इस कार्रवाई से बिहार का कुशवाहा समाज आक्रोशित है. उन्होंने कहा कि बिहार की वर्तमान शासन दलित और पिछड़ा विरोधी है और आने वाले चुनाव में कुशवाहा समाज इसका जवाब देगा.

उधर राजद के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री आलोक मेहता ने भी विवेक के निलंबन पर सरकार पर जम कर बरसे. उन्होंने कहा किर पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित और मुस्लिम समाज के अधिकारियों को फंसाने में लगी है. उन्होंने कहा कि  वर्तमान सरकार दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक विरोधी है और इस सरकार में इन वर्गों के अधिकारियों के खिलाफ ज्यादती की जा रही है.

आईएएस दीपक आनंद पर भी हुई कार्रवाई 

आईएएस दीपक आनंद के खिलाफ भी चल रहा है भ्रष्टाचार का मामला

गौर तलब है कि इससे पहले छपरा के डीएम दीपक आनंद के खिलाफ कार्रवाई हुई थी. वह अति पिछड़े वर्ग से आते हैं. उनके खिलाफ भी आय से अधिक सम्पत्ति का मामला चल रहा है.  विरोध प्रदर्शन करने वाले नेताओं का आरोप है कि पिछड़े वर्गों के आईएएस आईपीएस अफसरों को कभी आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में तो कभी ड्युटी में लापरवाही के नाम पर सुनियोजित तरीके प्रताड़ित करके उनके करियर को तबाह कर दिया जाता है. एक आईएएस अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर आप सवर्ण नहीं हैं तो आपके ऊपर कभी भी शिकंजा कसके आपको कानूनी दावपेंच में फंसा कर आपके करियर को तबाह किया जा सकता है. उन्होंने दीपक आनंद का उदाहरण देते हुए कहा कि डेढ़ वर्ष पहले गंगा में हुए नाव हादसे में दीपक आनंद को निशाना बनाया गया जबकि इस मामले में असल दोषी आईएएस अफसरों को मात्र तबादला कर दिया गया. इस मामले पिछड़े अफसरों को निशाना बनाया गया.

कुछ वर्ष पहले एक अन्य आईपीएस अफसर बाबू राम के खिलाफ भी कार्रवाई हो चुकी है. बाबू राम पर एक व्यक्ति को बेरहमी से पीटेने के आरोप में कानूनी कार्वाई हुई थी.

इस बीच जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि बिहार सरकार जाति के आधार पर  कभी कार्रवाई नहीं करती हैं. जो अधिकारी करप्शन में लिप्त होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.

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