इस्लाम महिलाओं की शिक्षा और उनमें महजबी बेदारी की भरपूर हिमायत करता है. शिक्षा दर असल महिलाओं और बच्चों के भविष्य के ऊपर व्याप प्रभाव डालती है. हजरत मोहम्मद साहब ने शिक्षा के महत्व को बखूबी समझा और उन्होंने महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया.

इस्लाम में महिलाओं की शिक्षा का महत्व

एक बार कुछ औरतों ने मोहम्मद साहब से सवाल किया कि उनके साथ ज्यादातर समय मर्द ही मौजूद रहते हैं इसलिए कम से कम एक दिन औरतों के लिए दें. इसके बाद पैगम्बर साहब ने एक खास दिन औरतों के लिए मुकर्रर कर दिया. उस खास दिन वह औरतों के प्रशिक्षण और उनकी शिक्षा के लिये दिया करते थे. मोहम्मद साहब इस बात पर जोर देते थे कि औरतें एक दूसरे को शिक्षित करें. इस बारे में कवि हाफिज इबराहीम ने कहा कि मां अपने आप में एक स्कूल है. अगर महिला शैक्षिक तौर पर समृद्ध है तो  एक बेहतरीन राष्ट्र का निर्माण हो सकता है.

महिलाओं की गरिमा व पवित्रता की गारंटी देता है इस्लाम

पैगम्बर साहब के अनुयायी भी इस बात का खास ख्याल रखते थे कि वे औरतों को, बच्चों को और बेटियों को शिक्षित करते थे. इतिहास में इसके प्रमाण मौजूद हैं और ऐसी महिलायें जिन्होंने बौद्धिक महारत हासिल की है उनका योगदान बड़ी संख्या में इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.ये ऐसी महिलायें हैं जिन्हें कहीं और से नहीं बल्कि उनके वालिदैन ने उन्हें शिक्षित किया और इसके बाद वे औरतें समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर सकीं. ऐसे पुरुषों का भी इस्लामी इतिहास में खासा जिक्र है जिन्होंने बिना किसी भेदभाव के महिलाओं और बच्चों को बेहतरीन तालीम के जेवर से आरास्ता किया. इस तरह से शिक्षा प्राप्त करने में महिलाओं की दैनिक जिम्मेदारियां भी रुकावट नहीं बनतीं वे समय निकाल कर अपने तमाम जिम्मेदारियों को पूरी करते हुए शिक्षा प्राप्त कर लेती हैं. ऐसी औरतें अपने बच्चों अपने बेटे बेटियों को भी उचित तालीम देती हैं और उनका बखूबी पालन पोशन करते हुए उन्हें एक बेहतर नागिरक बनाने में योगदान करती हैं. इन तमाम बातों से यह साबित है कि इस्लाम में महिलाओं की शिक्षा का कितना व्यापक महत्व है.

ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि इस्लाम का शिक्षा के प्रति इस नजरिये का विस्तार होता रहे और महिलाओं को शिक्षित करने का काम आगे बढ़ता रहे ताकि महिलायें भी समाज के समुचित निर्णाम में अपनी जिम्मेदारी निभा सकें.

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