ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) का मिशन PSLV (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल ) सात साल में पहली बार और 24 साल में दूसरी बार फेल हुआ है. इस दफे ISRO ने पहली बार प्राइवेट कंपनियों की मदद से बने सैटेलाइट की लॉन्चिंग की, जो मिशन नाकाम साबित हुआ. गुरुवार को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C 39 रॉकेट की मदद से नेविगेशन सैटेलाइट IRNSS-1H को छोड़ा गया. बता दें कि अब तक 40 में से 38 उड़ाने कामयाब रही हैं.

नौकरशाही डेस्‍क

इस बारे में ISRO चीफ किरण कुमार ने कहा कि नेविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च किए जाने वाला स्पेस मिशन फेल रहा. लॉन्चिंग के 90 सेकंड बाद कुछ परेशानी हुई. हम इसका डीटेल्ड एनालिसिस करेंगे. मिशन के किसी स्टेज में बड़ी परेशानी सामने नहीं आई. लॉन्चिंग के 90 सेकंड बाद सिर्फ चौथे स्टेज में दिक्कत आई. हीट शील्ड्स सैटेलाइट से अगल नहीं हो पाईं. सैटेलाइट के ऑर्बिट तक पहुंचने के लिए ऐसा जरूरी होता है. इसरो के मुताबिक, पहली बार किसी सैटेलाइट को बनाने में प्राइवेट कंपनियां सीधे तौर पर शामिल हुईं. 1425 KG वजनी IRNSS-1H को बनाने में प्राइवेट कंपनियों का 25% योगदान रहा है.

उल्‍लेखनीय है कि पहले 25 दिसंबर, 2010 को GSLV-F06 लॉन्च किया गया था. इसकी पहली ही स्टेज में दिक्कत आई थी और ये मिशन फेल हो गया था. PSLV इसरो का सबसे भरोसेमंद रॉकेट लॉन्चर माना जाता है. PSLV ने पहली उड़ान 20 सितंबर, 1993 को भरी थी, लेकिन ये मिशन नाकाम रहा. इसके बाद 15 अक्टूबर, 1994 को रॉकेट ने स्पेस की दूसरी उड़ान भरी. तब से लेकर अब तक PSLV 40 बार स्पेस मिशन पर जा चुका है. 1993 के बाद अब दूसरी बार पीएसएलवी का मिशन फेल हुआ है.

 

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