जेलर साहब को रवीश की चिट्ठी, सोशल मीडिया पर मचाई धूम

देश की आजाद आवाज हैं रवीश। अरसे बाद आज ट्विटर पर आए। डियर जेलर साहब को संबोधित खुली चिट्ठी जारी की। चिट्ठी देश में धूम मचा रही है, पर क्यों?

कुमार अनिल

रवीश कुमार आज अरसे बाद ट्विटर पर आए। उन्होंने डियर जेलर साहब को एक खुली चिट्ठी जारी की। इस पत्र में उन्होंने जो सवाल उठाए हैं, उसने देश के हर वर्ग के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। ये डियर जेलर साहब कौन हैं, आप खुद समझिए।

रवीश ने चिट्ठी में उठाए दो सवाल

रवीश कुमार का नाम लेते ही आंखों के सामने आ जाता है एक ऐसा पत्रकार जो कभी बेरोजगारों के लिए आवाज उठाता है, कभी वह जेएनयू और शाहीनबाग के साथ खड़ा दिखता है, तो कभी किसानों की आवाज बन जाता है। रविश ने अपने पत्र में दो सवाल उठाए हैं।

पहला सवाल

रवीश के पत्र की पहली पंक्ति ही मारक है। आज के दौर को काला दौर कहते हैं। लिखते हैं-भारत का इतिहास इन काले दिनों की अमानत आपको सौंप रहा है। आजाद आवाजों और सवाल पूछनेवाले पत्रकारों को रात में ‘उनकी’ पुलिस उठा ले जाती है। दूर-दराज के इलाकों में एफआईआऱ कर देती है। यह ऐसा दौर है, जब आईएएस-आईपीएस अधिकारी भी अपने बच्चों को पत्रकार बनने से मना कर रहे हैं कि पत्रकार बनोगे, तो जेल जाना पड़ेगा।

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संदर्भ एक नहीं, अनेक हैं। पिछली रात ही मनदीप पुनिया को पुलिस ने उठा लिया, पता नहीं उन्हें कहां रखा गया है। उन्होंने ही तथाकथित लोकल लोगों की सच्चाई दिखाई थी। सरकार ने दिल्ली के बॉर्डर पर इंटरनेट खत्म कर दिया है। अब ऐसे पत्रकार भला कैसे सच्चाई से गांव के किसानों को अवगत कराएंगे? जेएनयू का छात्र नजीब कहां हैं? रवीश का सवाल है आवाज दबाई जा रही है, हम कब बोलेंगे?

रवीश का दूसरा सवाल

अगर आप सूचना के लिए सिर्फ गोदी मीडिया देखते हैं, तो कभी सच्चाई नहीं जान पाएंगे। और अखबारों की क्या स्थिति है? लोकल के नाम पर किन लोगों ने किसानों पर पत्थर फेंके, पुलिस तब क्या कर रही थी, ये सब आप कभी नहीं जान पाएंगे। रवीश ने लिखा-भारत माता देख रही है, गोदी मीटिया को ताज पहनाया जा रहा है और आजाद आवाज को जेल भेजा जा रहा है। जब अधिकतर अखबार और गोदी मीडिया सच्चाई को सामने लाने के बजाय किसानों को देशद्रोही बताने पर तुली है, तब ऐसे काले समय में छोटे-छोटे यू-ट्यूब चैनल, फेसबुक लाइव और वेबसाइट ही जनता को सच्चाई बता रहे हैं।

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हर उस नागरिक को, जो देश से प्यार करता है, लोकतंत्र का हिमायती है, देश की बहुरंगी संस्कृति की सुंदरता से प्यार करता है, उसे रवीश के पत्र की आखिरी पंक्तियों पर आज रात सोने से पहले जरूर विचार करना चाहिए। रवीश कहते हैं-गुलाम मीडिया के रहते कोई मुल्क आजाद नहीं होता। गोदी मीडिया से आजादी के बाद ही नई आजादी आएगी।

By Editor