जैन समुदाय के समर्थन में कूदे मुसलमान

जैन धर्म के सबसे बड़े केंद्र झारखंड स्थित शिखर सम्मेद को पर्यटन बनाने के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन। 3 जनवरी को रांची में विरोध। मुसलमान भी समर्थन में कूदे।

कुमार अनिल

झारखंड के गिरिडीह जिले में जैन धर्म का सबसे बड़ा और प्रमुख केंद्र है, जिसे शिखर जी या शिखर सम्मेद कहते हैं। झारखंड सरकार ने पार्श्वनाथ की पहाड़ी को धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाने का निर्णय लिया है। पिछले साल से ही इस निर्णय का विरोध हो रहा है, लेकिन अब विरोध बढ़ गया है। रविवार को रांची में जैन समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ मुस्लिम, सिख और ईसाई भी इस फैसले के विरोध में सड़क पर उतरे। मंगलवार को रांची में बड़ा प्रदर्शन होने जा रहा है, जिसमें जैनियों के साथ मुस्लिम, ईसाई और सिख प्रतिनिधियों के फिर सड़क पर उतरने की संभावना है। इस खबर को कोलकाता से प्रकाशित द टेलिग्राफ ने सोमवार को विस्तार से प्रकाशित किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तरखंड के कई धार्मिक स्थलों को धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए लगातार वहां रोप वे, चौड़ी सड़कें और हेलिपैड विकसित करने के लिए शिलान्यास और उद्घाटन करते रहे हैं। भारत सरकार के पीआईबी की इस प्रेस रिलीज से भी साफ दिखता है। हालांकि उत्तराखंड और हिमाचल में अंधाधुंध निर्माण का कई बुद्धिजीवी और संगठन विरोध करते रहे हैं, पर उनकी आवाज किसी ने नहीं सुनी। उन्होंने प्रकृति से छेड़छाड़ के भयानक परिणामों से भी आगाह किया, लेकिन पर्यावरण की किसे चिंता है।

झारखंड सरकार ने भी प्रधानमंत्री मोदी की राह पर चलते हुए धार्मिक केंद्र को धार्मिक पर्यटन के लिए विकसित करने का फैसला ले लिया। लेकिन देशभर में जिस तरह विरोध हो रहा है, उसे देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपने फैसले को वापस ले लेना चाहिए। उत्तरखंड की तरह पहाड़ों और प्रकृति को नष्ट करने का निर्णय किसी तरह सही नहीं कहा जा सकता। इसके साथ ही यह जैन समुदाय की आस्था का सवाल भी है।

जैन समुदाय के साथ मुस्लिमों-ईसाइयों का आना खास बात है। हाल के वर्षों में जिस तरह मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं में नफरत फैलाया गया, वह कमजोर हो रहा है, यह अच्छी बात है। मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने में भाजपा-संघ और गोदी मीडिया साथ रहा है। अभी भाजपा की एक सांसद ने हिंदुओं से कहा कि किचन की छुरी तेज रखो। हरिद्वार में तो धर्म संसद के नाम पर मुसलमानों के कत्लेआम का आह्वान किया गया।

जैन समुदाय को भी आत्ममंथन करना चाहिए कि जब कोरोना जेहाद के नाम पर नफरत फैलाया जा रहा था, तब वे क्या कह रहे थे। हमने देखा है कि लोग कोरोना के लिए तबलीगी को जिम्मेदार बता रहे थे, पर कुंभ के पक्ष में थे। हालांकि कोर्ट ने तबलीगी जमात को कोरोना के लिए जिम्मेदार मानने से इनकार कर दिया। बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप के दोषियों को माला पहनाने का कितने लोगों ने विरोध किया?

अब शिखर जी को बाजार बनाने से बचाने के लिए मुस्लिम-ईसाई और सिख सामने आ रहे हैं, यह अच्छी बात है। हर धर्म के बीच प्रेम-सद्भान बढ़े और एक देश-एक संस्कृति की अंधराष्ट्रवादी धारणा के खिलाफ विविधता में एकता को मजबूत करना ही भारत को मजबूत कना है।

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