जनाक्रोश को डायवर्ट करने के लिए क्या कर सकते हैं मोदी

पिछले 24 घंटे में बंगाल में जो कुछ हुआ, क्या वह दिल्ली में किसी अप्रत्याशित घटना का पूर्वाभ्यास है? महामारी कई स्तरों पर विकराल है। कैसे बचे पीएम की छवि।

कुमार अनिल

महामारी कई स्तरों पर लोगों को तोड़ रही है। इलाज से लेकर मरने के बाद अंतिम संस्कार तक के लिए हाहाकार मचा है। महंगाई, रोजगार का संकट, आर्थिक तबाही से लोगों में भय व्याप्त हो गया है कि कल क्या होगा, पता नहीं। जान बचाने की एक उम्मीद वैक्सीन है, वह भी आसानी से नहीं मिल रही।

कल तक विदेशी अखबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विफल बता रहे थे। अब पहली बार देश की अंग्रेजी पत्रिका फ्रंटलाइन ने अपने कवर पेज पर मोदी की तस्वीर के साथ उन्हें विफल प्रधानमंत्री करार दिया है। ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने लिखा है कि भारत में हर नागरिक गुस्से में। चौतरफा घिरे प्रधानमंत्री मोदी।

पिछले दो दिनों में दो बड़ी घटनाएं हुईं। पहले दिल्ली में कुछ स्थानों पर पोस्टर लगाने के कारण 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया। यह साधारण बात नहीं है। उसमें सिर्फ इतना ही लिखा था कि मोदी जी, हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी। गिरफ्तार होनेवाले अधिकतर गरीब मजदूर थे। क्या कल ऐसे ही किसी आरोप में बड़े नेताओं की गिरफ्तारी नहीं हो सकती?

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दूसरी बड़ी घटना बंगाल में हुई। नारदा स्टिंग केस में बंगाल के दो मंत्री सहित चार नेताओं को गिरफ्तार किया गया। हद तो यह है कि इसी मामले में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी को छुआ तक नहीं गया, जबकि वे नोट लेते वीडियो में कैद हैं। खुद भाजपा ने उस वीडियो को सोशल मीडिया में रखा था, लेकिन जब वे भाजपा में शामिल हो गए, तो वीडियो हटा लिया गया।

प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीबीआई के दोहरे कार्रवाई के खिलाफ धरने पर बैठीं। नेताओं को बेल मिला, पर अचानक हाईकोर्ट ने निचली अदालत के ऑर्डर पर स्टे लगा दिया। मंत्रियों को जेल जाना पड़ा।

सवाल उठता है कि कोरोना महामारी के दौर में जब मोदी सरकार का पूरा ध्यान महामारी पर होना चाहिए था, तब पोस्टर चिपकाने पर जेल और बंगाल में गिरफ्तारियां क्यों हो रही हैं।

देशी-विदेशी मीडिया में प्रधानमंत्री के खिलाफ बढ़ते गुस्से की चर्चा है, तो यह भी साफ है कि पूरी भाजपा इस गुस्से को मोड़ने की रोज नई कोशिश कर रही है। बेंगलुरू के सांसद ने कोविड सेंटर में मुस्लिम कर्मियों का मामला उठाया था। लेकिन वह बड़ा मुद्दा नहीं बन पाया। टीकाकरण को राज्यों के मत्थे दे दिया गया है, लेकिन तब भी लोग सवाल प्रधानमंत्री मोदी से ही पूछ रहे हैं। युवा कांग्रेस देशभर में कोविड पीड़ितों की मदद कर रही है। उन्हें सहयोग करने के बजाय पुलिस उनसे पूछताछ कर चुकी है। आखिर ये सब किस बात का संकेत दे रहे हैं। देश में क्या होनेवाला है?

टाइम्स ऑफ इंडिया के पूर्व संपादक उत्तम सेनगुप्ता ने ट्विट किया- बंगाल में जो कुछ हुआ, वह रिहर्सल है। जल्द ही कुछ बड़ा हो सकता है। क्यां बंगाल या कुछ अन्य राज्यों में राष्ट्रपति शासन लग सकता है? क्या कुछ दलों के कुछ बड़े नेताओं की गिरफ्तारी हो सकती है? ऐसा सोचने का आधार भाजपा सांसद सुशील मोदी का वह बयान है, जो अखबारों में भी छपा कि कांग्रेस के लोग टीकाकरण में बाधा डाल रहे हैं। ऐसा ही बयान भाजपा के कुछ अन्य नेता भी दे रहे हैं।

By Editor