केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के अपराध व कुकर्म की कहानी सिर्फ इतनी नहीं है कि उन्होंने अलीमुद्दीन के 11 हत्यारों को फूलों से स्वागत किया.बल्कि इस मामले में सिन्हा  कुकर्म की असलियत जान कर आम इंसान भी जयंत सिन्हा से नफरत करने लगेगा.

जयंत सिन्हा के कुकर्म पर हुई जगहंसाई, फिर उन्हें शर्म ना आई

भाजपा के पूर्व मंत्रई  यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा की इन काली करतूत की दास्तान विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता हर्षमंदर ने अपने लेख में किया है. हर्षमंदर ने लिखा है कि जयंत सिन्हा ने मॉब लिंचिंग के 11 आरोपियों को निचली अदालत द्वारा उम्र कैद की सजा सुनाये जाने के बाद, हाईकोर्ट में उनके केस की सुनवाई में आर्थिक मदद तक की.

 

हर्षमंदर ने अपने लेख में इस सच्चाई को सामने लाने के पीछ की कहानी भी लिखी है. उन्होंने लिखा है कि दर असल ये सारा भेद तब खुल सका जब रामगढ़ के पूर्व भाजपा विधायक  शंकर चौधरी व जयंत सिन्हा का संरक्षण प्राप्त जिला भाजपा अध्यक्ष पप्पू बनर्जी  के बीच अलीमुद्दीन के हत्यारों के समर्थन का क्रेडिट लेने की होड़ मच गयी. हर्षमंदर ने अपने लेख में लिखा है कि जयंत सिन्हा अपने संरक्षण में पप्पू बनर्जी को इस काम के लिए लगाया था कि बजरंग दल व भाजपा से संबंध रखने वाले इन हत्यारों को बचाने का क्रेडिट हर हाल में पूर्व विधायक शंकर चौधरी के नाम नहीं जाना चाहिए. लिहाजा जयंत सिन्हा ने ही अपने समर्थकों के साथ जेल में गाड़ी भेजी थी, ताकि जेल से  बेल पर मिली रिहाई के बाद सीधे उनके आवास पर लाया जाये. जहां जंयत सिन्हा ने उनका स्वागत फूलों से किया और मिठाई खिलाई.

क्या था मामला

जून 2017 में रामगढ़ के अलीमुद्दीन अंसारी को भाजपा नेता के नेतृत्व में गोमांस का झूठा आरोप लगा कर भीड़ ने पीट कर मार डाला था. स्थानी फास्ट ट्रैक अदालत ने इस मामले की त्वरित सुनवाई की और ग्यारह आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी. इसके बाद आरोपियों को हाईकोर्ट ने बेल दे दिया. उनकी रिहाई 4 जुलाई 2018 को हुई. उसके बाद केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने उन्हें अपने घर बुला कर फूलों की माला पहनाई और मिठाई खिलाई. इस पर खूब हंगामा मचा और जंयंत ने सफाई दी कि वह जनप्रतिनिधि हैं लेकिन रूल आफ लॉ से समझौता नहीं कर सकते. जो दोषी होंगे उन्हें सजा होगी.

 

जब जयंत इन हत्यारों को मिठाई खिला रहे थे तभी किसी ने विडियो सूट कर लिया और यह विडियो सोशल मीडिया पर आ गया. सोशल मीडिया पर आने के बाद सारी दुनिया ने इस देखा तब जा कर जयंत सिन्हा की इस करतूत का पता चला.

हर्ष मंदर ने अपने लेख में यहां तक लिखा है कि निचली अदालत ने जिस तेजी से और जिस प्रामाणिकता के साथ इन हत्यारों को सजा सुनाई उसी तेजी से जयंत सिन्हा और पूर्व विधायक के बीच ऊपर अदालत द्वारा उन्हें बचाने और इसका क्रेडिट लेने की होड़ मच गयी. इन दोनों नेताओं के बीच इस बात की भी होड़ मची थी कि कौन इस मामले में ज्यादा फंड इकट्ठा करता है ताकि कानूनी लड़ाई में इन हत्यारों की मदद की जा सके.

 

 

 

By Editor