जदयू : उमेश कुशवाहा करेंगे बिहार दौरा, क्या शंट हो गए उपेंद्र

जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा बिहार दौरा शुरू करेंगे। वे ललन सिंह के काफी करीबी नेता हैं। सवाल उठ रहा है क्या उपेंद्र कुशवाहा शंटिंग में डाल दिए गए।

इस फोटो फ्रेम में उमेश कुशवाहा तो हैं, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा नहीं है। शुभानंद मुकेश के जदयू में शामिल होने के अवसर पर यह समारोह दो दिन पहले हुआ।

राजनीतिक दलों में नेताओं को शंटिंग से डर लगता है। शंटिंग किसे कहते हैं? जब रेलगाड़ी अपना सफर पूरा कर लेती है, तो उसे प्लेटफॉर्म से हटा कर यार्ड में ले जाया जाता है। वहां सफाई-धुलाई होती है, ताकि रेलगाड़ी फिर से सफर पर निकल सके। इस ही शंटिंग कहते हैं। लेकिन आपने देखा होगा कुछ बदकिस्मत रेल डब्बे यहां वर्षों तक खड़े रहते हैं, उन्हें कोई पूछनेवाला नहीं रहता। फिर वह कबाड़ बन जाता है। कबाड़ बन जाने के डर से नेता भी परेशान रहते हैं।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ललन सिंह के काफी करीबी हैं प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा। वे दो दिन बाद 16 दिसंबर से प्रदेश का दौरा शुरू कर रहे हैं। लेकिन पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा कहां हैं, क्या वे शंटिंग में डाल दिए गए? दो दिन पहले पुराने कांग्रेसी नेता सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश जदयू में शामिल हुए। मिलन समारोह में ललन सिंह के साथ उमेश कुशवाहा थे, पर उपेंद्र कुशवाहा नजर नहीं आए।

ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में काफी फेरबदल हुआ है और आगे होना है। इससे कई लोगों की हैसियत में फर्क आएगा। पहली बात तो यह कि आरसीपी के करीबी नेताओं को शंटिंग में डाल दिया गया है। पार्टी के सारे प्रकोष्ठ भंग कर दिए गए हैं, जिन्हें आरसीपी ने बनाया था। ललन सिंह के आने के बाद उपेंद्र कुशवाहा की हैसियत भी कम हुई है। वे संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं, लेकिन अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के अधीन हैं। उन्होंने बिहार दौरा किया, लेकिन फिलहाल उन्हें किसी अभियान की जिम्मेदारी नहीं दी गई है।

यह भी तय है कि एक पार्टी में एक ही बिरादरी से कोई एक ही नेता ऊपर होंगे। उमेश कुशवाहा और उपेंद्र कुशवाहा दोनों एक ही जिले वैशाली के एक ही क्षेत्र जंदाहा से आते हैं। दोनों यहां से चुनाव भी लड़ते रहे हैं। इसलिए दोनों में पुरानी प्रतियोगिता है।

फिलहाल स्थिति यह है कि आरसीपी विरोध में ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा साथ हैं। लेकिन एक बार जब आरसीपी खेमे को किनारे कर दिया जाएगा, तब दोनों के संबंधों में क्या फर्क पड़ेगा, कहा नहीं जा सकता। लेकिन इतना तय है कि उपेंद्र कुशवाहा और उमेश कुशवाहा में कोई एक ही ऊपर नबर वन पर होंगे।

उमेश कुशवाहा का बिहार दौरा इस लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यात्रा के दौरान कुशवाहा उन नेताओं को चिह्नित करेंगे, जिन्हें नए वर्ष में प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी दी जाएगी। वे यह भी समझ पाएंगे कि किसे शंटिग में डालना है और किसे आगे बढ़ाना है। नजर रखिए, जनवरी तक जदयू में कुछ लोग मिठाई बांटेंगे, कुछ कबाड़ होने के भय से परेशान।

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