दरिंदों ने दलित बच्ची पर जरा भी रहम नहीं खाया

जहानाबाद  नाबालिग दलित लड़की से छेड़-छाड़ वाले वॉयरल विडियो मामले को ठंडे बस्ते में डालने का षड्यंत्र जारी है.लेकिन नौकरशाही डॉट कॉम को जो जानकारी मिली है वह विडियो में दिखने वाली सच्चाई से भी ज्यादा हृदयविदारक है.

दरिंदों ने दलित बच्ची पर जरा भी रहम नहीं खाया

[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2018/04/faisal.sultan.jpg” ]फैसल सुलतान, एडिटोरियल एडवाइजर, नौकरशाही डॉट कॉम[/author]

भले ही वॉयरल हुए विडियो में दुनिया ने देखा कि 13 दरिंदे  बच्ची के कपड़े चीड़-फाड़ रहे हैं. उसे घसीट रहे हैं और वह बच्ची चीख-चिल्ला रही है. वह दया की भीख मांग रही है और इन दरिंदों को भैया कहके संबोधित कर रही है. पर जो सच्चाई हमें मिली है, वह इस रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना से भी ज्यादा डरावनी है. इन दरिंदों ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया और इसके बाद उसके शरीर पर चित्थड़े हो चुके वस्त्र की जगह नयी सूट पहना कर उसे दूर छोड़ दिया.

लेकिन चकित करने वाली बात यह है कि पुलिस इस भयावह मामले को महज छेडखानी का मामला बता रही है. अब हमारा सवाल है कि पुलिस उस बच्चे के चित्थड़े हो चुके वस्त्र की तलाश क्यों नहीं कर रही है?  अगर उसके कपड़े मिल जायें तो उसकी जांच से भी उसके साथ हुए दुष्कर्म की पुष्टि पक्के तौर पर हो सकती है.

दूसरा सीन

नाबालिग बच्ची के घर पर पुलिस घेरा डाले हुई है. वह अंडर हाउस अरेस्ट की स्थिति में है. अपने ही घर में एक कैदी की तरह. पांच महिला पुलिसकर्मी उसके घर में दिन रात उसे घेरी हुई हैं. पुरुष पुलिसकर्मी घर के बाहर डेरा डाले हुए हैं. बच्ची को किसी से नहीं मिलने दिया जा रहा. यहां तक कि उसके रिश्तेदार भी उससे नहीं मिल पा रहे हैं. वह व्यथित है और मानसिक रूप से तनावों से जूझ रही है. जिस कमरे में बच्ची का बेड है उस पर महिला पुलिसकर्मी सोती हैं जबकि बच्ची फर्श पर सोने को विवश है. घर के लोगों की स्थिति यह है कि उसके पिता और चाचा समेत अन्य महिलायें भी वेदना के शिकार हैं.

इस बीच  महिला संगठन  की तरफ कंचन बाला व सुधा वर्गिस, रजनी, मीरा यादव के नेतृत्व में महिला जांचकर्मियों का एक दल उससे मिलने पहुंचा. पुलिस वालों ने पहले तो हेकड़ी दिखाने की कोशिश की लेकिन कंचन बाला द्वार दबाव डालने पर उन लोगों ने कहा कि एसपी साहब का आदेश है कि किसी से उसे न मिलने दिया जाये. लेकिन कंचन और सुधा वर्गिस ने किसी भी तरह  उस बच्ची से मिलने में कामयाब रहीं. इस दौरान बच्ची ने कई चौंकाने वाले राज खोले हैं. इसमें सबसे डरावनी बात तो यह है कि उसके साथ न सिर्फ छेड़-छाड़ हुआ बल्कि उसे सामुहिक दुष्कर्म का शिकार बनाया गया. बच्ची ने रोते हुए कहा कि उसकी इज्जत लूट ली गयी. उसने कंचन को यह भी बताया कि उन युवकों ने इस कुकर्म को अंजाम देने के बाद उसके लिए नयी सूट खरीद कर लाये ताकि मैं अपने जिस्म को छुपा सकूं. उसके पुराने कपड़े का चित्थड़ा-चित्थड़ा नोच डाला था दरिंदों ने.

 

तीसरा सीन

इस मामले से मुत्तलिक कुछ जानकारियों को   महिला संगठन ने बीते दिनों प्रेस कांफ्रेंस करके पत्रकारों से शेयर किया था. लेकिन कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों का विस्तृत व्योरा उन्होंने नौकरशाही डॉट कॉम को शेयर किया. कंचन बाला और सुधा वर्गिस  व रजनी की टीम ने इस मामले में डीजीपी से मुलाकत की. और उस बच्ची पर बीत रही घटनाओं को उन्हें सुनाया. डीजी ने इस मामले में जहानाबाद के एसपी से पूरी जानकारी मांगी और पूछा कि उस बच्ची के घर के अंदर पुलिसकर्मियों को क्यों दाखिल होने दिया गया. उनका काम घर के बाहर पहरा देना था, न कि उसकी प्राइवेसी में दखल देने के लिए उन्हें घर के अंदर बिठा देना था. डीजीपी ने माना कि घर के अंदर पुलिसकर्मियों का होना अनुचित है. कंचन ने डीजीपी को यह भी साफ कहा है कि घर के अंदर उसे एक तरह से कैद करके रखा गया है. वह खाने पीने के साथ साथ नित्यक्रिया के लिए जाने के लिए महिलापुलिसकर्मियों के हुक्म की गुलाम बन चुकी है. उसका रो-रो कर बुरा हाल है.

इस बीच पता चला है कि प्रशासन की तरफ से इस बच्ची के अकाउंट में एक लाख रुपये जमा कराये गये हैं.

डीजीपी ने दिया एसी को निर्देश पर…

डीजीपी  को इस टीम ने जो शिकायतें की उसके बाद उन्होंने सीधे जहानबाद एसपी को फोन करके कहा कि महिलापुलिसकर्मियों को घर से बाहर निकालें. बच्ची को स्वतंत्र छोड़ें. पुलिस का काम बाहर रह कर सुरक्षा प्रदान करना है, न कि घर में घुस कर उसकी निजता को भंग करना. अगर पुलिस इस तरह से उसके घर में बनी रहेगी तो वह बच्ची मानसिक रूप से बीमार हो जायेगी. उन्होंने कहा कि बच्ची के पुराने वस्त्रों को खोज निकालिए औऱ इस मामले में दुष्कर्म होने की पुख्ता जांच कीजिए.

डीजीपी एएस द्विवेदी के इस दिशानिर्देश का अब तक कोई असर नहीं दिखा है.

कौन है इस हालात के पीछे

पुलिस इस मामले में महज छेड़छाड़  का जिक्र  एफआईआर में किया है. लेकिन मामला सामुहिक दुष्कर्म का है. ऐसा बच्ची खुद स्वीकार कर रही है. तो सवाल यह है कि इस मामले पर कौन लीपापोती कर रहा है? 13 दरिंदों को पुलिस ने गिरफ्तार जरूर कर लिया है लेकिन छेड़ छाड़ का मामला बना कर उनकी सजा को कम करने की साजिश के पीछे किसका हाथ है?  पुलिस ने अब तक बच्ची के पुराने कपड़ों को क्यों नहीं तलाशा है. क्या पुलिस को इस मामले में कुछ लालच दिया गया है, इसलिए वह इस मामले को डाउनप्ले करने की कोशिश में लगी है?

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By Editor