झारखंडी मंत्री क्यों बोले मोदी के खाने के दांत अलग, दिखाने के अलग

मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं…राजनीति मतलब से नहीं चलती। विचारधारा से चलती है। झारखंड के बड़े नेताओं ने पीएम को घेरा, कहा, वे सिर्फ मतलब के यार हैं।

कुमार अनिल

जब किसी प्रदेश में चुनाव होता है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस प्रदेश से, उसकी संस्कृति से अपना कोई-न-कोई पुराना नाता खोज लेते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही नाते-रिश्ते भूल जाते हैं। यह कहना है झारखंड के मंत्रियों और बड़े नेताओं का।

दरअसल कल शोषित-पीड़ितों, आदिवासियों के महानायक बिरसा मुंडा का शहादत दिवस था। जब झारखंड विधानसभा चुनाव हो रहा था, तब प्रधानमंत्री हर सभा में बिरसा को याद करते थे, लेकिन कल उन्हें बिरसा की याद नहीं आई।

झारखंड सरकार में मंत्री चंपई सोरेन ने ट्विट किया- झारखंड चुनावों के समय भगवान बिरसा मुंडा के नाम की माला जपने वाले पीएम @narendramodi जी ने धरती आबा बिरसा मुंडा जी के शहादत दिवस पर एक ट्वीट तक नहीं किया। इसे ही कहते हैं कि हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के ​कुछ और… बस, यही राजनीति है, जिसे समझने की जरूरत है।

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झारखंड मुक्ति मोर्चा की महासचिव और विधायक सीता सोरेने ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल-जंगल- जमीन सबकुछ कॉरपोरेट के हवाले करना चाहते हैं, जबकि बिरसा मुंडा इन पर आदिवासियों का स्वाभाविक अधिकार मानते थे। उन्होंने ट्वीट किया- आदिवासी जननायक भगवान बिरसा मुंडा के बलिदानों को @narendramodi जी चुनाव के समय खूब याद करते है और बड़ी बाते करते हैं लेकिन चुनाव के बाद उनके शहादत दिवस पर एक ट्वीट भी नहीं करते। इससे साफ़ प्रतीत होता है कि आदिवासी समाज उनके लिए मात्र वोट बैंक के बराबर है।

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झामुमो नेताओं ने कहा कि राजनीति विचारधारा से चलती है, पर जबसे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर मोदी बैठे हैं, तब से विचारधारा के बजाय कुर्सी प्रमुख हो गई है। राजनीति में अवसरवाद और आडंबर बढ़ा है, जिससे नुकसान सिर्फ देश की जनता का है।

झारखंड के मंत्रियों, विधायकों ने प्रधानमंत्री की इतनी आलोचना की, पर भाजपा का कोई बड़ा नेता प्रधानमंत्री के बचाव में सामने नहीं आया।

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