जदयू में सबकुछ ठीक नहीं है, ये तो जदयू विधायक श्याम रजक और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के बयान के बाद ही जाहिर हो गया था। मगर अब ये नेता पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व शिक्षा मंत्री व कांग्रेस नेता अशोक चौधरी के निशाने पर भी आ गए. मांझी ने कहा कि इनका दलित प्रेम सिर्फ दिखावा है.

नौकरशाही डेस्‍क

उन्‍होंने ने कहा है कि आरक्षण के नाम पर श्याम रजक और उदय नारायण चौधरी घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. हम भी कहते हैं कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए. दलित वर्ग में केवल 15% लोग ही आरक्षण का लाभ ले रहे हैं, जबकि 85% लोगों को अभी भी इसका लाभ नहीं मिल रहा है.  उन्‍होंने कहा कि जब जीतन राम मांझी को सीएम पद से हटाया रहा था, तब वो लोग कहां थे, जो आज दलितों की तरफदारी कर रहे हैं. उन्‍होंने तंज कसते हुए कहा कि चुप्पी साधने वालों को आज पार्टी में कुछ नहीं मिलता दिख रहा है, तो वो अब दलित राग अलाप रहे हैं.

पूर्व शिक्षा मंत्री व कांग्रेस नेता अशोक चौधरी ने कहा कि जब उदय नारायण चौधरी विधान सभा के अध्यक्ष थे, तब ये मामला क्यों नहीं उठाया था. उन्‍होंने कहा कि श्याम रज़क ने मंत्री और विधायक रहते क्यों नहीं उठाया सदन में दलितों का मामला. मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार महादलित विकास मिशन का गठन कर दलितों के विकास के लिए काम कर रहे है.

बता दें कि जब जदयू के प्रदेश अध्‍यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने मंगलवार को स्पष्ट कहा था कि पार्टी के खिलाफ बयान देने वाले जदयू विधायक श्याम रजक और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को पद की लालसा थी. जो पूरी नहीं हुई. जदयू इस मामले को गंभीरता से देख रहा है. अगर ये पार्टी के खिलाफ जाएंगे तो जदयू इन दोनों पर कार्रवाई जरूर करेगा.

इससे पहले जदयू के वरिष्ठ नेता श्याम रजक और उदय नारायण चौधरी ने पार्टी के दलित विरोधी होने का आरोप लगा कर केंद्र और राज्य सरकार पर हमला बोला था. उदय नारायण चौधरी  कहा था कि कलम और कागज के साथ पावर भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के हाथ में हैं, लेकिन मैं अपनी आवाज और दलित-महादलितों की आवाज को उठाउंगा. तो श्‍याम रजक ने कहा था कि वंचित समाज को मुख्यधारा में लाने का भीमराव आंबेडकर और महात्मा गाँधी ने जो सपना देखा था, वह देश की आजादी के सात दशक बाद भी पूरा नहीं हो पाया है. हालत ये है कि वंचित समाज आज भी कूड़े के ढेर से अनाज चुनकर पेट की भूख मिटाने को विवश है.

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