बिहार शिक्षा को लेकर इन दिनों सुर्खियों में है. जहां एक ओर अभी हाल ही में पटना विश्‍वविद्यालय का 100 वां स्‍थापना दिवस में बिहार के नेताओं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने शिक्षा की उपलब्धियां गिनाई, वहीं दूसरे ही दिन एनडीए के घटक दल राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी की ओर से राज्‍य की शिक्षा व्‍यवस्‍था दुरूस्‍त करने के लिए एक विशाल जन सभा का आयोजन किया गया. जिसमें केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने सूबे के मुखिया नीतीश कुमार से शिक्षा में सुधार के लिए समर्थन मांगा. तो आज तीसरे दिन पूर्व मुख्‍यमंत्री और एनडीए के घटक दल हम के नेता जीतन राम मांझी ने राज्‍य की शिक्षा व्‍यवस्‍था पर सवाल खड़े किये हैं.


नौकरशाही डेस्‍क
पूर्व सीएम ने कहा कि जब तक सरकारी स्कूलों में पदाधिकारियों के बच्चे और गरीब बच्चे साथ नहीं पढ़ेंगे, तब तक शिक्षा में सुधार नहीं हो सकता है. डीएम, एसपी और जज का बेटा कॉन्वेंट स्कूल और गरीब का बेटा संसाधन विहीन सरकारी स्कूलों में पढ़ेगा तो स्तर में सुधार कैसे होगा? उन्‍होंने बदहाल शिक्षा व्यवस्था के लिए आजादी के बाद की सभी सरकारों को दोषी ठहराया है.
उन्‍होंने ये भी कहा कि शिक्षा के व्यवसायीकरण को भी रोकना जरूरी है ताकि शिक्षा के स्तर में सुधार हो सके. शिक्षा में भी समानता का कानून लाना होगा तभी इसके स्तर में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने की शिक्षा व्यवस्था आज भी लागू है जो सिर्फ क्लर्क पैदा कर रहा है. गौरतलब है कि पिछले दिनों बिहार में इंटर टॉपर घोटाला, एसएससी घोटाला, परीक्षा के दौरान कदाचार, रिजल्‍ट में बड़े पैमाने में पर गड़बड़ी जैसी घटनाओं ने बिहार की शिक्षा व्‍यवस्‍था की पोल खोल कर रख दी थी, जिसके लिए उपेंद्र कुशवाहा ने इशारों में ही नीतीश कुमार को जिम्‍मेदार ठहराया था. लेकिन पूर्व सीएू जीतन राम मांझी ने इसके लिए आजादी के बाद की सभी सरकारों को दोषी ठहराया है.

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