जो लालू, कर्पूरी न कर सके, वह करेंगे तेजस्वी, ‘चालीसा पार्टी’ परेशान

तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना की मांग पर दिल्ली तक पदयात्रा करने का एलान कर दिया है। पार्टी के बड़े नेताओं के साथ मंथन के बाद फैसला। ‘चालीसा पार्टी’ परेशान।

राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने बड़े-बड़े अभियान चलाए हैं। कर्पूरी ठाकुर और दूसरे समाजवादी नेताओं ने भी मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए महीनों अभियान चलाए, लेकिन किसी समाजवादी नेता ने आज तक बिहार से दिल्ली तक पदयात्रा नहीं की है। यह बहुत बड़ा फैसला है और इससे बिहार की राजनीति ही नहीं, देश का राजनीतिक विमर्श बदल सकता है। कभी हिजाब, कभी लाउडस्पीकर, कभी हनुमान चालीसा में देश को उलझाए रखनेवाले तेजस्वी की घोषणा से अवाक हैं। जदयू की धड़कनें भी बढ़ गई हैं।

आज बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया। कहा, अगर मुख्यमंत्री ने जातीय जनगणना की घोषणा नहीं की, तो वे बिहार से दिल्ली तक पदयात्रा करेंगे।

बिहार से दिल्ली तक पदयात्रा का एलान साधारण नहीं हैं। इसमें महीनों लगेंगे और लाखों लोगों से सीधे संवाद का मौका मिलेगा। सोशल मीडिया के जरिये करोड़ों लोगों तक बात पहुंचेगी। इससे देश की ‘ चालीसा पार्टी’ का एजेंडा हवा में उड़ सकता है। यह बात दिन के उजाले की तरह साफ है कि भाजपा-आरएसएस हिंदू राष्ट्र बनाने की तरफ बढ़ रहे हैं। बहुत हद तक उन्होंने बना भी दिया है। हिंदू राष्ट्र का अर्थ ही है कि उसमें न सिर्फ अल्पसंख्यक बल्कि दलित और पिछड़े भी दोयम दर्जे के नागरिक होंगे।

देश को हर मीहने नफरत की एक नई खुराक दी जा रही है। हिजाब का मुद्दा कमजोर होता है, तो लाउडस्पीकर पर बहस छेड़ दी जाती है और वह कमजोर होता है, हनुमान चालीसा को एजेंडा बना दिया जाता है। अब हनुमान चालीसा कमजोर पड़ रहा है, तो बनारस की एक मस्जिद, आगरे के ताजमहल को मुद्दा बनाने की हवा दी जा रही है। इससे लोग महंगाई और बेटे की बेरोजगारी भूल जाते हैं।

तेजस्वी यादव का बिहार से दिल्ली तक पदयात्रा मंडल-2 साबित हो सकता है। दलित और पिछड़ों में नई एकजुटता हो सकती है। भाजपा और जदयू दोनों के लिए यह पदयात्रा नया संकट साबित होगा। जदयू ने इस संकट को भांप लिया है। इसीलिए उसके बड़े नेता विजय कुमार चौधरी ने तुरत कहा कि नीतीश सरकार तैयार है, पर केंद्र ने मना कर दिया है।

तेजस्वी यादव ने प्रेस वार्ता में आज मुख्यमंत्री को घेरा। कहा, बार-बार कहते हैं कि अपने खर्च से जनगणना कराएंगे, लेकिन महीने दर महीने बीत रहे हैं। नीतीश कुमार साफ कह दें कि उन पर भाजपा का दबाव है और वे यह नहीं कर सकते। फिर जनता उन्हें समझा देगी।

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