जेपीयू से जेपी को ही किया बाहर, लालू बोले बर्दाश्त नहीं

दिल्ली विवि में महाश्वेता देवी सहित 3 लेखिकाओं की कहानियों को पाठ्यक्रम से बाहर करने के बाद जेपीयू से जेपी को ही बाहर निकाल दिया। लालू ने संघ पर किया हमला।

कुमार अनिल

भारत सरकार के शोध संस्थान भारतीय इतिहास परिषद ने आजादी के अमृत महोत्सव से नेहरू को बाहर कर दिया। दिल्ली विवि में देश की प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी की लघुकथा द्रौपदी और दो दलित लेखिकाओं बामा और सुकिर्तरानी की कहानियों को अंग्रेजी पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया गया। अब छपरा के जेपी विश्वविद्य़ालय से खुद जेपी को ही बाहर कर दिया। मालूम हो कि इस विवि की स्थापना पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने की थी।

लालू प्रसाद ने आज ट्वीटि किया- मैंने जयप्रकाश जी के नाम पर अपनी कर्मभूमि छपरा में 30 वर्ष पूर्व जेपी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। अब उसी यूनिवर्सिटी के सिलेबस से संघी बिहार सरकार तथा संघी मानसिकता के पदाधिकारी महान समाजवादी नेताओं जेपी-लोहिया के विचार हटा रहे है। यह बर्दाश्त से बाहर है। सरकार तुरंत संज्ञान ले।

संघ और भाजपा न सिर्फ लोकतांत्रिक संस्थाओं, मीडिया को कमजोर कर रही है, बल्कि वह शिक्षा से हर उस चीज को बाहर कर रही है जो दलित उत्पीड़न का विरोध करती हो, महिला के साथ भेदभाव का विरोध करती हो। अब ताजा मामला चौंकानेवाला है।

जेपी ने गांधी जी के साथ कांग्रेस से राजनीति शुरू की, फिर वे समाजवादी आंदोलन से जुड़े। उन्हें खासकर लोकतंत्र की हिफाजत के लिए 1974 आंदोलन के कारण भी जाना जाता है। उसी आंदोलन की उपज लालू प्रसाद हैं। लालू प्रसाद ने जेपी की याद को अमर करने के लिए 1990 में छपरा में उनके नाम पर विवि स्थापित की। अब जिनके नाम पर विवि है, उन्हें ही पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया गया है।

अब देखना है कि लालू प्रसाद के विरोध के बाद बिहार का लोकतांत्रिक समाज किस प्रकार जेपी-लोहिया के विचारों की रक्षा के लिए, जेपी विवि की आत्मा बचाने के लिए सामने आता है।

लालू ने कहा है कि जेपी-लोहिया के बदले सावरकर को कोर्स में शामिल करना बरदाश्त नहीं होगा। जेपी और बिहार एक दूसरे के पर्याय की तरह हैं। इस तरह जेपी को बाहर करना बिहार के इतिहास को भी अपमानित करना है।

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