कल से किसानों का मिशन यूपी, हिंदुत्व व महंगाई में भी प्रतियोगिता

कल मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत से मिशन यूपी का एलान होगा। क्या यहां भी भाजपा के खिलाफ किसान बिगुल फूंकेंगे? एक प्रतियोगिता हिंदुत्व और महंगाई में भी है।

किसान महापंचायत, मुजफ्फरनगर : एक दिन पहले ही पहुंचने लगे किसान

कुमार अनिल

5 सितंबर यूपी विधानसभा चुनाव का टर्निंग प्लाइंट साबित होगा? कल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत में भीड़ ऐतिहासिक होगी, इसमें कोई शक नहीं है। महपंचायत की तैयारी के लिए कई महापंचायतें हो चुकी हैं, जिनमें भारी भीड़ देखी गई। सबकी नजर इस बात पर है कि किसान कल मिशन यूपी का एलान करेंगे। मिशन यूपी में क्या-क्या होगा, योगी सरकार के खिलाफ वे किस प्रकार अभियान चलाएंगे? क्या कार्यक्रम का एलान होगा?

वैसे इस बात को सभी मान चुके हैं कि पश्चिमी यूपी में भाजपा को नुकसान होना तय है। सवाल है कि किसान आंदोलन प्रदेश के दूसरे हिस्से में भाजपा के खिलाफ किस प्रकार मैदान में उतरता है।

पश्चिमी यूपी में भाजपा को कोई उग्र हिदुत्व की लहर ही बचा सकती है। किसान नेता राकेश टिकैत ने पिछले दिनों सनसनीखेज आरोग लगाया था। उन्होंने 31 अगस्त को कहा था कि चुनाव जीतने के लिए भाजपा किसी बड़े हिंदू नेता की हत्या करवा सकती है। सावधान रहें।

किसान नेताओं ने पश्चिम बंगाल विस चुनाव में भी प्रचार किया था। उन्होंने किसी दल को वोट देने की अपील नहीं की थी, पर भाजपा को वोट न देने का अभियान चलाया था। अब देखना है कि वे मिशन यूपी में क्या एलान करते हैं।

उधर, एक प्रतियोगिता हिंदुत्व और महंगाई में भी छिड़ी है। एक तरफ अयोध्या में राम मंदिर, धारा 370 खत्म करने, जनसंख्या नियंत्रण कानून की बातें हैं। दूसरी तरफ महंगाई से लोग परेशान हैं। बेरोजगारी भी मुद्दा है। कोरोना फिलहाल मुद्दा बनता नहीं दिख रहा है, जिससे लगता है कि गंगा की रेत में दफनाए शवों और ऑक्सीजन की कमी से मरते लोगों के चेहरे लोग भूल गए हैं। तालिबान यूपी में मुद्दा बन रहा था, लेकिन भारत सरकार ने जिस प्रकार सुरक्षा परिषद में उसके प्रति नरमी दिखाई, उससे फिलहाल तालिबान का मुद्दा कमजोर लग रहा है।

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भाजपा समर्थकों को उम्मीद है कि अयोध्या में राम मंदिर के नाम पर वोट मिलेगा। लेकिन महंगाई उन्हें डरा भी रही है। उन्हें विपक्ष के एकजुट न होने से भी लाभ दिख रहा है। उधर विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी को मुद्दा बना रहा है। यूपी के मतदाता तय करेंगे कि सरसों तेल 200 रु लीटर, गैस हजार रुपए नहीं चाहिए या वे हिंदुत्व के नाम पर महंगाई को झेलने को राजी हैं।

जय किसान आंदोलन के संयोजक अविक साहा ने कहा कि 5 सितंबर की महापंचायत ने भाजपा ट्रोल्स को नर्वस कर दिया है। वे गाली-गलौज पर उतर आए हैं। लेकिन किसानों के धर्मयुद्ध के आगे उनकी हार निश्चित है। सोशल

मीडिया पर एक दिन पहले से ही ट्रेंड करने लगा #5SeptemberKisanPanchayatMuzaffarnagar । इस पर मुजफ्फरनगर पहुंचनेवाले किसानों के अनेक वीडियो पोस्ट किए जा रहे हैं। किसानों के अनेक पोस्टर हैं। उनका रोष है। जज्बा है।

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