कर्नाटक में एचडी कुमार स्वामी के शपथ समारोह में देश भर के विपक्षी नेताओं की मौजूदगी तो थी लेकिन इस स्टेज पर मुसलमानों के चढ़ने की  इजाजत नही थी.

 

जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय कंवेनर अशफाक रहमान ने कहा है कि मुसलमानों का वोट लेने वाले कथित सेक्युलर नेताओं के लिए मुस्लिम नेता अछूत बना दिये गये. इसके लिए कोई और नहीं खुद मुसलमान जिम्मेदार हैं.

 

उन्होंने कहा कि कुमार स्वामी के शपथ समारोह ने साबित कर दिया कि भाजपा तो छोड़िये खुद मुसलमानों के वोट पर राज करने वाले कथित धर्मनिरपेक्ष नेता भी मुसलमानों को धुतकार चुके हैं. अशफाक रहमान ने अपने प्रेस बयान में कहा है कि  गैरों के ऐसे बरताव पर क्या रोना जबकि मुस्लिम उलेमा ही  मुसलमानों को गैर समझते हैं. उन्होंने कहा कि दीन बचाओ देश बचाओ रैली के वक्त भी मुस्लिम रहनुमाओं को मंच से नीचे धकेल दिया गया था जबिक तमाम दलों के नेता मंच पर अपन चेहरा चमका रहे थे.

अशफाक रहमान ने कहा कि  कर्नाटक में भाजपा को हार का मुंह दिखाने और उसकी सरकार बनाने की ऱणनीति को ध्वस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गुलाम नबी आजाद को भी कांग्रेस ने हाशिये पर डाल दिया. अशफाक रहमान ने कहा कि हद तो तब हो गयी जब जेडीएस के कद्दावर मुस्लिम नेता दानिश अली को भी मंच के पास फटकने तक नहीं दिया गया.

 

हम सियासी रहनुमाओं के कहने पर दीन और मजहब के नाम पर सड़कों पर तो निकल आते हैं लेकिन हमारे ही लोग उन नेताओं के सामने अपनी थाली पसार देते हैं जिसमें वह कुछ डाल देते हैं और हम खुश हो जाते हैं- अशफाक रहमान, कंवेनर, जेडीआर

अशफाक रहमान ने कहा कि क्या भाजपा को हराने में मुसलमानों का कोई रोल नहीं होगा?  उन्होंने कहा कि कल अगर लोकसभा चुनाव में मोदी की हार होती है तो इसमें यह ऐलान किया जायेगा कि इसमें मुसलमानों की कोई भूमिका नहीं थी. तो क्या मुसलमान सिर्फ सियासी मोहरा बनके रहेंगे ?

अशफाक रहमान ने मुसलमानों से पूछा है कि क्या वह कभी सोचते हैं कि मुसलमानों को इतनी हिकारत की नजर से क्यों देखा जाता है. हम क्यों कथित सेक्युलर पार्टियों के धुतकारने के बावजूद हम उनके पिछलग्गू बने रहते हैं?   अशफाक रहमान ने इस सवाल का खुद ही जवाब देते हुए कहा कि दर असल हम  भारत की सियासत को अपने हिसाब से इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं और खुद हम उनके लिए इस्तेमाल हो रहे हैं. उन्होंने मुसलमानों को झकझोड़ते हुए कहा कि हम सियासी रहनुमाओं के कहने पर दीन और मजहब के नाम पर सड़कों पर तो निकल आते हैं लेकिन हमारे ही लोग उन नेताओं के सामने अपनी थाली पसार देते हैं जिसमें वह कुछ डाल देते हैं और हम खुश हो जाते हैं.

अशफाक रहमान ने कहा कि जो कौम सियासत में अपनी हैसियत नहीं मनवाती वह सियासी पार्टियों के जूते की नोक पर नहीं बल्कि जूते के नीचे रहती है. अशफाक ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हमने अब भी अपनी सियासी हैसियत खुद अपने बूते उभारने की कोशिश नहीं की तो हमारी हालत ऐसी ही बनी रहेगी.

 

 

 

 

 

By Editor