कर्नाटक BJP को झटका, मुस्लिम आरक्षण पर आई SC की टिप्पणी

कर्नाटक में 10 मई को चुनाव है। BJP ने चुनाव से पहले पिछड़े मुस्लिमों का आरक्षण खत्म कर दिया। इसे गेम चेंजर कहा गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने कह दी बड़ी बात।

कर्नाटक में 10 मई को चुनाव है। BJP ने चुनाव से पहले पिछड़े मुस्लिमों को दिया जानेवाला चार प्रतिशत आरक्षण खत्म कर दिया। मीडिया में इसे गेम चेंजर कहा गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि मुसलमानों के लिए दिए जानेवाले चार प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने का निर्णय त्रुटिपूर्ण है। इस निर्णय में खामियां हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि गलत धारणा के आधार पर आरक्षण खत्म करने का निर्णय लिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही बोम्मई सरकार द्वारा लिंगायत और वोकालिगा के लिए दो प्रतिशत आरक्षण बढ़ाने के निर्णय को भी त्रुटिपूर्ण और खामियों वाला (Shaky, flawed) बताया। न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने मामले की सुनवाई की। इस मामले को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उठाया, जिसे बेंच ने सुना। इस मामले पर फिर सुनवाई होगी। अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।

30 मार्च को कर्नाटक की बासवाराज बोम्मई सरकार ने अधिसूचना जारी की जिसमें पिछड़े मुस्लिमों के लिए दिए जाने वाले आरक्षण को समाप्त करने की बात थी। मालूम हो कि इन जातियों को 100 साल पहले से पिछड़ी जाति के रूप में पहचाना जाता था। भाजपा सरकार ने पिछड़े मुस्लिम का चार प्रतिशत आरक्षण राज्य की दो मजबूत जातियों में बांट दिया।

कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले जिस प्रकार भाजपा सरकार ने मुस्लिमों का आरक्षण समाप्त किया, तभी इसे चुनाव से जोड़ कर देखा गया था। उसी समय यह बात भी सामने आई थी कि मामला कोर्ट में भी जाएगा। अब अगर 10 मई से पहले सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिमों के आरक्षण को खत्म करने के निर्णय को गलत बता दिया, तो भाजपा की परेशानी बढ़ जाएगी। कोर्ट की इस टिप्पणी से भी भाजपा की परेशानी बढ़ेगी।

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