कर्नाटक CM चुनाव में मोदी मॉडल से अलग राह पर कांग्रेस

कर्नाटक परिणाम के तीन दिन हुए हैं, लेकिन गोदी मीडिया परेशान। CM चुनाव की सारी कवायद का केंद्र बना खड़गे का घर। कांग्रेस मोदी मॉडल से अलग राह पर।

कुमार अनिल

कर्नाटक में मुख्यमंत्री के चुनाव में कांग्रेस को परेशान बताने के चक्कर में गोदी मीडिया खुद परेशान है। वह डीके शिव कुमार और सिद्दा रमैया में खटपट नहीं खोज पा रहा और न ही शिवकुमार को सचिन पायलट साबित कर पा रहा है। इधर कांग्रेस मोदी मॉडल से अलग कांग्रेस मॉडल स्थापित करने में जुटी है। ध्यान रहे, सीएम के चुनाव की सारी कवायद का केंद्र पार्टी अध्यक्ष खड़गे का निवास है या पार्टी मुख्यालय। सोनिया गांधी का आवास केंद्र में नहीं है। जरूर उनसे भी राय ली गई होगी और लेनी भी चाहिए।

सात महीना पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में गोदी मीडिया की पसंद खड़गे नहीं, बल्कि शशि थरूर थे, राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए वह सचिन पायलट के पक्ष में है, उसी तरह कर्नाटक के सीएम के लिए उसकी पसंद सिद्दारमैया नहीं, बल्कि शिवकुमार हैं। हालांकि शिव कुमार ने साफ कर दिया कि वे न तो बगावत करने जा रहे हैं और न ही नेतृत्व को ब्लैकमेल करेंगे। पार्टी तय करेगी।

कांग्रेस ने अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा से एक विभाजन रेखा खींची थी। भाजपा अध्यक्ष नड्डा का चुनाव किसने किया, कैसे हुआ, कोई नहीं जान सका या सभी जानते हैं कि किसने और किस प्रकार किया। अब कर्नाटक सीएम के चुनाव में भी कांग्रेस भाजपा से विभाजन रेखा खिंचना चाहती है।

कांग्रेस के पर्यवेक्षकों ने बेंगलुरु में सभी निर्वाचित विधायकों से राय ली। उनका गुप्त मतदान कराया गया। इससे पहले विधायकों की बैठक हुई, जिसमें सीएम चुनने का अधिकार पार्टी अध्यक्ष खड़गे को दिया गया। भाजपा में कभी ऐसा नहीं हुआ कि पार्टी अध्यक्ष को अधिकृत किया गया हो। इस तरह दो फर्क तो कांग्रेस ने दिखा दिया।

गुजरात में रातों रात मुख्यमंत्री और उनकी पूरी कैबिनेट को बदल दिया गया। इसका निर्णय किसने किया, यह किसी को ज्ञात नहीं या सभी जानते हैं। उत्तरखंड में कई सीएम बदले गए। उसमें भी कोई लोकतांत्रित प्रक्रिया नहीं दिखी। गोदी मीडिया चाहती है कि कांग्रेस का भी भाजपाकरण हो, लेकिन कांग्रेस एक नई राजनीतिक संस्कृति स्थापित करने की कोशिश कर रही है या कहें कांग्रेस अपनी पुरानी लोकतांत्रिक संस्कृति को जिंदा करना चाहती है।

कर्नाटक का मुख्यमंत्री कोई भी बने, लेकिन कांग्रेस भाजपा से अलग मॉडल पेश करने को उत्सुक दिखती है।

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