जिस दक्षिण भारत मे वंचित समाज के लोग गले मे हंडिया और कमर में झाड़ू बांधकर चलते थे,शूद्र समाज की स्त्रियों को वक्ष ढंकने की इजाजत नही थी उस दक्षिण भारत के एक प्रमुख राज्य तमिलनाडु में पेरियार रामास्वामी नायकर जी के आंदोलन ने ऐसा न सामाजिक परिवर्तन किया कि करुणानिधि जी सरीखा सामाजिक न्याय का मजबूत अलमबरदार उभरकर नेतृत्व अपने हाथों में ले सामाजिक समता लाने हेतु कृतसंकल्पित हो आजीवन संघर्षरत रहा।

– चंद्रभूषण सिंह यादव

 

करुणानिधि जी सचमुच दमित समाज के लिए करुणा की निधि थे।उन्होंने तमिलनाडु को पूरे देश में अपवाद के रूप में स्थापित करने में अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी।संविधान आबादी के अनुपात में आरक्षण का अधिकार प्रदान करता है लेकिन कथित तौर पर देश भर में पिछडो व दलितों को 49.5% में ही समेत कर रख दिया गया है जबकि इनकी आबादी 85% है।पूरे देश मे तमिलनाडु अकेला राज्य है जहां 69 प्रतिशत आरक्षण लागू है।

उत्तर भारत आरक्षण की आग में जल रहा था लेकिन करुणानिधि जी की विस्मयकारी पर्सनालिटी ने तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण बहाल रखने का साहसिक काम किया और वंचितों का सदैव हितपोषण किया।

करुणानिधि जी पेरियार रामस्वामी नायकर जी के नास्तिक विचारधारा के जबरदस्त समर्थक थे।करुणानिधि जी ने अपने संस्मरण सुनाते हुए एक बार कहा था कि उनकी पहली मुहब्बत इसलिए परवान न चढ़ सकी क्योकि वे बिना लग्न-मुहूर्त, पुरोहित-व देवी/देवता के शादी करना चाहते थे लेकिन बधू पक्ष के लोग सनातन पद्धति से शादी करवाना चाहते थे।करुणानिधि जी ने अपने विचारधारा के लिए अपनी मुहब्बत को त्याग दिया और शादी टूट गयी।ऐसे विचारधारा के प्रति चट्टानी सोच रखने वाले लोग विरल ही नही बल्कि बल्कि विरलतम होंगे।

करुणानिधि जी अब एक इतिहास बन गए है जिनको वंचित समाज सदैव इज्जत से याद करता रहेगा।करुणानिधि जी के स्मृतिशेष होने पर नमन है।

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