KCR नीतीश से मिले, अभी से भाजपा में छटपटी

सिर्फ 30 दिन पहले जेपी नड्डा ने पटना में कहा था कि देश से क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व खत्म कर देंगे। आज उसी पटना में नीतीश से मिले KCR। भाजपा में छटपटी।

कुमार अनिल

जिस पटना में 30 दिन पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अतिआत्मविश्वास में कहा था कि भाजपा देश के क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व मिटा देगी। विपक्ष ने अंहकार कहा था। आज उसी पटना में तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की, तो भाजपा में छटपटी देखी जा रही है। केसीआर और नीतीश की मुलाकात सिर्फ दो मुख्यमंत्रियों की मुलाकात नहीं है, बल्कि 2024 में दिल्ली की गद्दी से प्रधानमंत्री मोदी को बेदखल करने की नई रणनीति का आगाज है। इसीलिए जो भाजपा क्षेत्रीय दलों को गाजर-मूली मान रही थी, उसे अब केसीआर-नीतीश की मुलाकात को पचाना मुश्किल हो रहा हो रहा है।

केसीआर और नीतीश कुमार की मुलाकात से भाजपा परेशान हो गई है। भाजपा सांसद सुशील मोदी ने इसे विपक्षी एकता का कॉमेडी कहा। नीतीश कुमार के आगे बढ़ने, केसीआर जैसे नेता के साथ आने से भाजपा के कई नारे बेकार हो गए हैं। भाजपा इन नेताओं को परिवारवाद की पार्टी भी नहीं कह सकती। केसीआर के साथ मुलाकात को नीतीश कुमार की राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री मानी जा रही है। जदयू ने भाजपा के गढ़ यूपी में लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। जदयू बिहार से सटे यूपी के जिलों खासकर कुर्मी आबादी वाले जिलों में चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। यहां भाजपा ने 17 सीटें जीती थीं। जदयू और राजद इस बार भाजपा को शून्य पर आउट कर देने की तैयारी में है। बंगाल में भाजपा की 18 सीटें हैं। वहां भी भाजपा बुरे दौर से गुजर रही है। झारखंड में भाजपा की 14 और तेलंगाना में 4 सीटें हैं। इन चार राज्यों में ही भाजपा की 50 सीटों पर खतरा मंडरा रहा है।

बिहार में महागठबंधन भाजपा के खिलाफ विपक्ष की गोलबंदी का एक नया मॉडल है, जिसके केंद्र में सामाजिक न्याय के साथ ही रोजगार जैसे बड़े सवाल हैं। जो भाजपा क्षेत्रीय दलों को मिटा देने का एलान कर रही थी, अब वही परेशान दिख रही है। कल तक माना जा रहा था कि 2024 में मोदी का आना तय है, वहींं बिहार मॉडल ने इस तय गणित को गलत साबित कर दिया है। इसी में छिपी है भाजपा की छटपटाहट की वजह।

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