खाली हाथ रही भाजपा, अमित शाह नया एजेंडा से सेट करने विफल

भाजपा के बड़े नेता अमित शाह पूर्णिया में खूब बोले, पर वही बात दुहराते रहे, जो बिहार भाजपा के नेता डेढ़ महीने से बोल रहे हैं। कोई नया मंत्र नहीं दे पाए।

कुमार अनिल

बिहार भाजपा ने हफ्तों तैयारी की थी। कई केंद्रीय मंत्री पूर्णिया में कैंप कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद भाजपा में दूसरे सबसे बड़े नेता और गृहमंत्री अमित शाह शुक्रवार को पूर्णिया पहुंचे। सभा में भीड़ ठीक-ठाक थी। लेकिन पूछा जाए कि भाजपा कार्यकर्ताओं को क्या मिला, तो उनके पास कहने को कुछ नया नहीं है। शाह ने अपने भाषण में जो कहा, उसे तो बिहार भाजपा के नेता पिछले डेढ़ महीने से दुहरा रहे हैं। यही कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने धोखा दिया, कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नहीं बन सकते कि बिहार में जंगल राज का खतरा है आदि-आदि।

गिरिराज सिंह भी बने मजाक

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने गुरुवार को देशभर में पीएफआई नेताओं के घरों-दफ्तरों पर छापे के बाद बड़ी बात कही थी। उन्होंने दावा किया था कि बिहार में पूर्णिया-किशनगंज का इलाका पीएफआई का स्लीपर सेल बन गया है। यह मसला गृह मंत्रालय के अधीन आता है, लेकिन गृह मंत्री ने इस सिलसिले में एक शब्द भी नहीं कहा। साफ है केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का दावा मजाक बन कर रह गया।

राजद और जदयू कई दिनों से आशंका जता रहे थे कि गृहमंत्री अमित शाह इस दौरे में विवादास्पद सवाल खड़े कर सकते हैं। दोनों दलों ने सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश के रूप में भी इस दौरे को देख रहे थे, लेकिन अमित शाह ने जनसंख्या नियंत्रण, बांग्लादेशी घुसपैठ, एनआरसी, सीएए जैसे किसी मुद्दे को छूआ तक नहीं। उनका पूरा भाषण दुहराव लग रहा था। राजद और जदयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जैसे सवाल भी उठाए थे, लेकिन इन सवालों पर भी शाह चुप ही रहे।

बिहार के राजनीतिक क्षेत्र में सभी ने मान लिया था कि इस सभा से ध्रुवीकरण की राजनीति तेज होगी, लेकिन ऐसी किसी बात को अमित शाह ने नहीं उठाया।

केंद्रीय गृह मंत्री बिहार के लिए कोई नया एजेंडा सेट करने में विफल रहे। इस सभा के बाद भी भाजपा कार्यकर्ताओं को कोई नया मंत्र नहीं मिला, जिसकी उम्मीद की जा रही थी। आखिर ऐसा क्यों हुआ? माना जा रहा है कि कल गुरुवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत दिल्ली की एक मस्जिद में गए तथा इमामों के संगठन के प्रमुख उमर इलियासी से मिले। यह मिलन आज भी राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। क्या संघ प्रमुख के मस्जिद में जाने का तात्कालिक असर है या कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का, अभी ठीक-ठीक दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता। भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस यही कह रही है कि संघ-भाजपा देश के लोगों में नफरत भर रही है। लेकिन यह तय है कि अमित शाह कोई नया मंत्र बिहार भाजपा को नहीं दे सकते।

संघ प्रमुख मोहन भागवत राष्ट्रपिता हैं : इमाम ऑर्गनाइजेशन

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