ख्वाजा गरीब नवाज: साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रेरणा स्रोत

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती को दुनिया गरीबनवाज के नाम से जानती है.एक ऐसे अग्रणी सूफी संत जो सदियों से विभिन्न आस्थाओं के पैरुकारों के लिए आपसी भाईचारे व सद्भाव के प्रेरणा स्रोत हैं. उनके श्रद्धालु अलग-अलग आस्थाओं के मानने वाले हैं. उन्होंने सभी आस्थाओं से जुड़े लोगों के बीच भाईचारा की शिक्षा दी. उन्होंने अतिवादी विचारों, जो समाज में हिंसा, आतंकवाद और विभाजन की खाई बढ़ाते हैं, के बरक्स सद्भावना की नजीर पेश की.

अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर सभी आस्था से जुड़े लोग हाजिरी देते हैं और अपनी मुरादें पूरी होने की उम्मीद लिए पहुंचते हैं. उनकी दरगाह इस पूरे उपमहाद्वीप में अफजल हैसियत रखती है. यही वजह है कि यहां दुनिया भर से विभिन्न धर्मों के अनुयायी बड़ी संख्या में जियारत के लिए आते हैं.

ख्वाजा गरीबन नवाज

ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में हर आम व खास हाजिरी देते हैं. यहां फिल्मों से जुड़ी बड़ी हस्तियां, सेलेब्रिटीज, बादशाह, बड़े कारोबारी घरानों के मालिकान सब पहुंच कर मन्नतें मांगते हैं. मुगल शहंशाह अकबर ने भी  यहां नंगे पैर पहुंच कर जियारत की थी.

अजमेर में ख्वाजा की दरगाह में पांच दिनों का सालाना उर्स आयोजित किया जाता है.

पैगम्बर मोहम्मद साहब की हिदायत

ख्वाजा गरीब नवाज का जन्म ईरान के सिस्तान परिवार में हुआ था. जो पैगम्बर मोहम्मद साहब के 17वीं पीढ़ी मेंसे जुड़ता है. ख्वाजा गरीब नवाज को सपने में पैगम्बर मोहम्मद साहब से यह निर्देश मिला था कि वह भारत जायें.

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ख्वाजा साहब ने ज्ञान व रुहानियत की खोज में काफी यात्रायें की. उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, कमजोरों और बेसहारों पर न्योछावर कर दिया. ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के नाम से ही चिश्तिया सिलसिले का आगाज हुआ.

आज ख्वाजा साहब की दरगाह विभिन्न आस्थाओं का संगम और साम्प्रदायिक सद्भावाना की प्रेरणा का केंद्र है जो मानवता और आपसी प्रेम का संदेश देता है. यह एक ऐसा केंद्र है जहां पहुंच कर लोग रुहानियत के जरिय खुद को सर्वशक्तिमान अल्लाह से जुड़ते हैं. और यहां से समाज में अमन, शांति और भईचारे का पैगाम दुनिया में पहुंचता है.

By Editor